स्कूल स्तर हो विद्यार्थियों की समस्याओं का निवारण: एसडीएम

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निरीक्षण के दौरान मौजूद एसडीएम व स्कूल स्टाफ
निरीक्षण के दौरान मौजूद एसडीएम व स्कूल स्टाफ

एसडीएम पुलकित मल्होत्रा ने किया बुढ़ाखेड़ा में स्कूल का निरीक्षण 

सफीदों, (एस• के• मित्तल) : सफीदों के एसडीएम पुलकित मल्होत्रा ने गांव बुढ़ाखेड़ा के राजकीय स्कूल का औचक निरीक्षण किया। इस दौरान उनके साथ तहसीलदार राजेश गर्ग भी मौजूद रहे। एसडीएम ने सबसे पहले स्कूल के मिड-डे मील का निरीक्षण किया और खाना बनाने में इस्तेमाल हो रही सामग्री की अच्छी तरह जांच की। उन्होंने बच्चों से पूछा कि उन्हें भोजन में कोई दिक्कत तो नहीं आती। निरीक्षण के दौरान एसडीएम ने बच्चों से उनकी पढ़ाई, खेलकूद और अन्य गतिविधियों के बारे में भी सीधा संवाद किया। इसी दौरान एक छात्र ने ग्राउंड में लगे ओपन जिम के झूले टूटे होने की शिकायत की। एसडीएम तुरंत ग्राउंड में पहुंचे और स्थिति का जायजा लिया। उन्होंने पिल्लूखेड़ा ब्लॉक के बीईओ को झूले जल्द ठीक करवाने के आदेश दिए। एसडीएम पुलकित मल्होत्रा ने कहा कि बच्चे किसी भी राष्ट्र की सबसे बड़ी संपत्ति होते हैं। उनके सपने, उनकी सीख और उनका चरित्र ही भविष्य में देश की दिशा तय करता है। आज के बच्चे ही कल के वैज्ञानिक, डॉक्टर, सैनिक, शिक्षक, प्रशासक और नेता बनकर देश के निर्माण में अहम भूमिका निभाएंगे। उन्होंने विद्यार्थियों को कहा कि यदि किसी भी बच्चे को स्कूल या घर में किसी प्रकार की परेशानी हो, तो वे निःसंकोच अपनी समस्या साझा करें। उन्होंने विद्यार्थियों से कहा कि वे किसी भी बात को अपने तक सीमित न रखें और न केवल प्रशासन, बल्कि अपने परिवार के किसी समस्या, स्कूल के मुख्याध्यापक या किसी भी अध्यापक को समस्या बताकर उचित कार्रवाई करवा सकते है। उन्होंने कहा कि विद्यार्थियों की हर शिकायत की जांच स्कूल स्तर पर या उच्च अधिकारियों के माध्यम से करवाई जाएगी। उन्होंने यह भी स्पष्ट रूप से कहा कि किसी भी शिक्षक द्वारा बच्चे के साथ बेइंसाफी, विद्यार्थियों के बीच चोरी, बच्चों में नशीले पदार्थों का सेवन या किसी भी प्रकार की गलत संगति की जानकारी मिलने पर इसकी तत्काल सूचना स्कूल अध्यापकों को दी जानी चाहिए, ताकि समय रहते आवश्यक कदम उठाए जा सकें।
एसडीएम ने बताया कि विद्यार्थियों के उचित मार्गदर्शन और उनके संकोच को दूर करने के लिए विशेष व्यवस्था कराई जाएगी, जो बच्चों की समस्याओं का त्वरित समाधान सुनिश्चित करेंगी। उन्होंने कहा कि वैसे तो बच्चों के सबसे बडे काउंसलर अध्यापक ही होते है फिर भी जरूरत के अनुसार बच्चों की काउंसलिंग व मेडिकल चेकअप करवाए जाएगें। उन्होंने अध्यापकों को निर्देश दिए कि अगर कोई भी बच्चा गुमसुम नजर आए या किसी की पढने में रूचि न दिखाई दे तो उस पर विशेष निगरानी रखकर उसका समाधान संवेदनशीलता से किया जाए।

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