बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में ओवैसी की पार्टी AIMIM ने अपनी चुनावी रणनीति को लेकर बड़ा कदम उठाया है। पार्टी ने 16 जिलों की 32 सीटों पर उम्मीदवार उतारने की घोषणा की है, जिनमें से अधिकांश मुस्लिम बहुल क्षेत्र हैं। इससे पहले, AIMIM ने 100 सीटों पर चुनाव लड़ने की योजना बनाई थी, लेकिन अब तक 32 सीटों की सूची जारी की गई है।
क्यों मुस्लिम बहुल क्षेत्रों पर ध्यान?
AIMIM की रणनीति मुस्लिम बहुल क्षेत्रों पर केंद्रित है, जैसे सीमांचल और मिथिलांचल। पार्टी का दावा है कि बिहार में मुस्लिम समुदाय की संख्या लगभग 17.7% है, लेकिन उन्हें राज्य की राजनीति में उचित प्रतिनिधित्व नहीं मिला है। ओवैसी का कहना है कि “हर समुदाय का अपना नेता है, लेकिन मुस्लिमों का कोई नेता नहीं है।”
महागठबंधन से गठबंधन की असफलता
ओवैसी ने महागठबंधन से गठबंधन की कोशिश की थी, लेकिन उन्हें सकारात्मक प्रतिक्रिया नहीं मिली। इससे पार्टी ने अकेले चुनाव लड़ने का निर्णय लिया है और एक तीसरे मोर्चे की संभावना पर विचार कर रही है।
क्या AIMIM मुस्लिम समुदाय के लिए किंगमेकर बनेगी?
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि AIMIM का यह कदम मुस्लिम वोटों को एकजुट करने की दिशा में महत्वपूर्ण हो सकता है। यदि पार्टी सीमांचल और मिथिलांचल जैसे क्षेत्रों में अच्छा प्रदर्शन करती है, तो वह चुनाव परिणामों में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। हालांकि, यह भी देखा जाएगा कि पार्टी अन्य समुदायों से कितना समर्थन जुटा पाती है।
निष्कर्ष
AIMIM की इस रणनीति से बिहार की राजनीति में नया मोड़ आ सकता है। मुस्लिम समुदाय के लिए एक मजबूत राजनीतिक विकल्प प्रस्तुत करने की कोशिश से राज्य की राजनीति में दलित और पिछड़े वर्गों के लिए भी संदेश जा सकता है। अब यह देखना होगा कि ओवैसी की यह रणनीति कितनी सफल होती है और वह बिहार की राजनीति में कितना प्रभाव डाल पाते हैं।