पंजाब में बाढ़ के बाद मिट्टी की सेहत पर संकट — PAU की रिपोर्ट में बड़ा खुलासा, घट गई उपजाऊ शक्ति

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रेत और गाद की परतों ने खेतों की उर्वरता छीनी;

फसल उत्पादन पर असर की आशंका, वैज्ञानिक बोले —


हाल ही में आई पंजाब कृषि विश्वविद्यालय (PAU) की रिपोर्ट ने राज्य के किसानों के बीच चिंता की लहर दौड़ा दी है। रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि इस साल की भारी बाढ़ ने न केवल हजारों एकड़ फसलें बर्बाद कीं, बल्कि मिट्टी के प्राकृतिक स्वरूप और उपजाऊ क्षमता को भी बुरी तरह प्रभावित किया है।

विशेषज्ञों के मुताबिक, बाढ़ के पानी के उतरने के बाद खेतों में रेत और गाद की मोटी परत जम गई है, जिससे मिट्टी की जलधारण क्षमता और पोषक तत्वों की मात्रा घट गई है। कई इलाकों में मिट्टी का pH स्तर असंतुलित पाया गया है, जिससे गेहूं और धान जैसी प्रमुख फसलों की उपज पर प्रतिकूल असर पड़ सकता है।

PAU के वैज्ञानिकों ने बताया कि जिन क्षेत्रों में बाढ़ का पानी लंबे समय तक ठहरा रहा, वहां मिट्टी की सूक्ष्म जीवाणु गतिविधि (microbial activity) भी कम हो गई है। इससे खेतों में जैविक तत्वों का पुनर्चक्रण रुक गया है, जो फसल वृद्धि के लिए बेहद जरूरी होते हैं।

रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि मिट्टी को दोबारा उपजाऊ बनाने के लिए किसानों को ग्रीन मैन्योरिंग, जैविक खाद और फसल चक्र जैसी तकनीकों को अपनाना होगा। राज्य सरकार से यह भी सिफारिश की गई है कि प्रभावित इलाकों में मिट्टी की सेहत सुधारने के लिए विशेष अभियान चलाया जाए।

कई किसानों ने बताया कि इस साल की बाढ़ ने उनका आर्थिक संतुलन बिगाड़ दिया है। फसल तो बर्बाद हुई ही, अब मिट्टी की खराबी से अगली बुवाई भी जोखिम में पड़ गई है।

पर्यावरण विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि अगर जल्द ही सुधारात्मक कदम नहीं उठाए गए तो पंजाब के कृषि तंत्र पर दीर्घकालिक प्रभाव पड़ सकता है।


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