11 माह में दर्ज हुए 63,000 ड्राइविंग मामले
हरियाणा में पिछले 11 माह के दौरान ड्रंक-एंड-ड्राइव के 63,000 से अधिक मामलों ने कानून-व्यवस्था और सड़क सुरक्षा के चिंताजनक पहलुओं को उजागर कर दिया है। आधिकारिक जानकारी के अनुसार गुरुग्राम, फरीदाबाद और सोनीपत जैसे जिलों ने सर्वाधिक केस दर्ज करवाए हैं, जिससे इन जिलों में नशे के प्रभाव में वाहन चलाने के बढ़ते रुझान पर चिंता बढ़ गई है। पुलिस और प्रशासन ने लगातार चेतावनी देने के बावजूद यह प्रवृत्ति कम नहीं हुई है।
प्रदेश के पुलिस प्रमुख ने इन मामलों के प्रति सख्त रुख अपनाने का संकेत पहले ही दे रखा है। डीजीपी की टिप्पणी कि ऐसे लोगों को 20 दिन के लिए जेल में डाल देना चाहिए, इस अवैध प्रवृत्ति के प्रति निवारक संदेश देती है। उनका कहना है कि कड़क कार्रवाई से ही शराब-प्रभावित चालकों को संयम और भय लगेगा तथा सड़क दुर्घटनाओं में कमी आएगी। हालांकि कुछ विधिक विशेषज्ञ और मानवाधिकार समूह इस तरह की तत्काल जेल की सजा पर चर्चा कर रहे हैं कि क्या यह दंड प्रक्रिया और संवैधानिक अधिकारों के अनुरूप है या नहीं।
पुलिस द्वारा चलाए गए विशेष चेक-पोस्ट और रेड-रैपिड ऑपरेशनों के बावजूद आंकड़े बताते हैं कि नाइटलाइफ वाले इलाकों और हाईवे पर वाहन चालक शराब के प्रभाव में गाड़ी चलाने से नहीं चूक रहे। शिक्षा और जागरूकता अभियानों के साथ-साथ सख्त दंडात्मक कदम, शराब की बिक्री और ड्राइविंग लाइसेंस नियमों की समीक्षा पर भी विचार किया जा रहा है।
सार्वजनिक स्वास्थ्य दृष्टि से भी यह मामले गंभीर हैं क्योंकि नशे की वजह से होने वाली दुर्घटनाएँ न केवल जीवन को जोखिम में डालती हैं बल्कि आर्थिक और सामाजिक लागत भी बढ़ाती हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि प्रभावी समाधान के लिए कानूनी सख्ती, सतत जागरूकता और समुदाय-स्तरीय पहलों का संयोजन आवश्यक होगा।
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