कहा– संविधान तभी तक रहेगा, जब तक आपकी नैतिकता इसे बरकरार रखेगी
सोनीपत में आयोजित एक विशेष सम्मेलन में भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) सूर्यकांत ने कानून के छात्रों को नैतिकता और ईमानदारी के महत्व पर जोर देते हुए महत्वपूर्ण संदेश दिया। जिंदल ग्लोबल यूनिवर्सिटी में आयोजित ‘न्यायपालिका की स्वतंत्रता और संविधान’ विषयक कार्यक्रम में वे मुख्य अतिथि के रूप में मौजूद थे।
अपने संबोधन में CJI सूर्यकांत ने कहा कि “संविधान की जीवंतता किसी किताब में छपी इंक से नहीं, बल्कि आपकी नैतिकता, ईमानदारी और कर्तव्यनिष्ठा से बनी रहती है।” उन्होंने लॉ स्टूडेंट्स को स्पष्ट संदेश दिया कि वे किसी भी परिस्थिति में ईमानदारी और मूल्यों को न छोड़ें, क्योंकि न्यायपालिका का असली आधार यही है।
उन्होंने आगे कहा कि आने वाला समय उन्हीं युवाओं का है जो कानून की पढ़ाई के साथ-साथ संविधान के सिद्धांतों को वास्तविक जीवन में उतारने का साहस रखते हैं। समाज में हो रहे तेजी से बदलावों का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि न्यायपालिका की स्वतंत्रता और संवैधानिक संस्थाओं की मजबूती के लिए आने वाली पीढ़ी को अधिक संवेदनशील और नैतिक रूप से मजबूत होना पड़ेगा।
कार्यक्रम में केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल भी उपस्थित रहे। दोनों गणमान्य व्यक्तियों ने छात्रों के सवालों के जवाब दिए और उन्हें न्यायिक व्यवस्था के बारे में विस्तृत जानकारी दी।
CJI ने यह भी कहा कि तकनीक, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और बदलते सामाजिक ढांचे के बीच भी न्यायपालिका का मूल कभी नहीं बदलना चाहिए। उन्होंने छात्रों को सलाह दी कि वे कानून की पढ़ाई को केवल करियर न समझें, बल्कि इसे एक जिम्मेदारी और सेवा की भावना से जोड़कर देखें।
![]()













