Landon. पहले टैटू बनवाने का एक खास मतलब और मकसद होता था। हर टैटू के पीछे एक स्टोरी और एक यूनिक वजह होती थी। लेकिन समय के साथ टैटू ने एक पूरा बिजनेस ही बना लिया। अब तो आपको जगह जगह पर टैटू पार्लर दिख जाएंगे। इन जगहों पर बैठे आर्टिस्ट ख़ास ट्रेनिंग लेकर इस कला में निपुणता हासिल करते हैं। अगर आपने भी टैटू बनवा रखा है या टैटू बनवाने की सोच रहे हैं, तो पहले इस बात को जान लें कि आखिर ये बॉडी पर बनाई कैसे जाती है?
आपको ये तो पता है कि जब बॉडी के अंदर इंक डाली जाती है, तब ये टैटू बनते हैं। लेकिन इनका पैटर्न कैसे डिसाइड होता है? कैसे कुछ टैटू गहरे और कुछ लाइट बन जाते हैं? इन टैटू के निशान के बनने के पीछे एक साइंस है, जिसे ज्यादातर लोग नहीं जानते। सोशल मीडिया पर टैटू मेकिंग के साइंस को लेकर एक वीडियो शेयर किया गया। इसमें ये बताया गया कि आखिर बॉडी के अंदर टैटू इंक जाते ही क्या होता है? चूंकि, हमारी बॉडी के काम करने का एक तरीका है।
ऐसे में जब अचानक स्किन के अंदर इंक जाती है, जो एक बाहरी प्रोडक्ट है, तब हमारी बॉडी कैसे रेस्पॉन्ड करती है?
दरअसल, जब टैटू बनवाया जाता है तो सुई इंक के साथ हमारी स्किन के लेयर्स के अंदर जाती है। दर्द होता है तब हमारी बॉडी वहां बन रहे घाव को ठीक करने के लिए व्हाइट ब्लड सेल्स भेजती है। ये सेल्स स्किन पर हुए डैमेज को घटाने में लग जाती है। व्हाइट ब्लड सेल्स के मुकाबले इंक के पार्टिकल्स बड़े होते हैं। ऐसे में वो इंक को खत्म नहीं कर पाते। व्हाइट ब्लड सेल्स की वजह से सुई चुभोने पर जो सूजन होती है वो धीरे-धीरे कम हो जाती है लेकिन इंक वहीं रह जाता है।
ऐसे में कुछ समय के बाद टैटू के घाव तो सुख जाते हैं और उभर कर सामने आता है इंक का निशान। इस तरह हमारी बॉडी पर टैटू का डिजायन वैसा ही रह जाता है। अब अगर कभी इन निशान को हटाने का मन होता है, तो फिर लेजर ही एकमात्र उपाय बचता है। वरना मरते दम तक ये निशान आपके साथ रह जाता है। बता दें कि आज के समय में टैटू बनवाना कई लोगों का शौक बन गया है। पहले कुछ ख़ास समुदाय के लोग ही टैटू बनवाते थे। इसमें खासकर ट्राइबल पीपल होते थे।