जहां भागवत कथा होती है, वहां स्वयं भगवान विराजते हैं: कैवल्यानंद सरस्वती
सफीदों, (एस• के• मित्तल): श्री कृष्ण भक्ति भागवत समिति के तत्वावधान में नगर के ऐतिहासिक नागक्षेत्र मंदिर में चल रही श्रीमद् भागवत कथा में व्यासपीठ से श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए कथावाचक स्वामी कैवल्यानंद सरस्वती महाराज ने कहा कि जहां भागवत कथा होती है, वहां स्वयं भगवान विराजमान होते हैं।
भागवत कथा से मिलती है पापों से मुक्ति
स्वामी कैवल्यानंद सरस्वती ने कहा कि श्रीमद् भागवत के पठन और श्रवण से भोग और मोक्ष दोनों सुलभ हो जाते हैं। मन की शुद्धि के लिए इससे बड़ा कोई साधन नहीं है। जैसे सिंह की गर्जना सुनकर भेड़िए भाग जाते हैं, वैसे ही भागवत के पाठ से कलियुग के सभी दोष समाप्त हो जाते हैं।
उन्होंने कहा कि भागवत कथा के श्रवण मात्र से भगवान हरि भक्त के हृदय में विराजते हैं। भोग और मुक्ति दोनों के लिए एकमात्र भागवत शास्त्र ही पर्याप्त है।
हजारों यज्ञों का फल देता है कथा श्रवण
महाराज ने कहा कि श्रीमद् भागवत कथा का श्रवण हजारों अश्वमेध और वाजपेय यज्ञों के समान फल देता है। फल की दृष्टि से इसकी तुलना गंगा, गया, काशी, पुष्कर या प्रयाग जैसे तीर्थों से नहीं की जा सकती।
भागवत कथा जनमानस को सेवा और सम्मान के साथ जीवन जीने की प्रेरणा देती है। उन्होंने कहा कि बहुत दिनों तक मन को वश में रखना कठिन है, इसलिए भागवत सप्ताह श्रवण की विधि सर्वोत्तम मानी गई है।
कथा से घर बनता है तीर्थस्थल
स्वामी कैवल्यानंद सरस्वती ने कहा कि जिस घर में नित्य भागवत कथा होती है, वह स्वयं तीर्थरूप हो जाता है। केवल पठन और श्रवण ही नहीं, बल्कि अर्थबोध, मनन, चिंतन, धारण और आचरण भी आवश्यक हैं।
इस अवसर पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित रहे और कथा श्रवण कर आध्यात्मिक लाभ उठाया। नागक्षेत्र मंदिर परिसर में भक्तिरस का अद्भुत वातावरण बना रहा।
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