महेश कुमार सिन्हा
पटना : बिहार में खरमास बाद राजनीतिक सरगर्मी बढ़ने के आसार हैं। कयी नेता पुराने घर से नये घर मे जाने के लिये खरमास खत्म होने का इंतजार कर रहे हैं। सियासी गलियारे में चल रही चर्चाओं पर अगर गौर करें तो चूड़ा-दही के भोज के बाद सूबे की सियासी तस्वीर बद सकती है। राजनीतिक हलकों मे चल रही चर्चा के अनुसार पाला बदलने को बेताब कई नेताओं को खरमास खत्म होने और शुभ मुहूर्त के आने का बेसब्री से इंतजार है। चर्चा है कि कई सांसद भी भविष्य की राजनीति अंधकार मय देखकर नया ठिकाना तलाशने में जुट गए हैं। पूर्व केन्द्रीय मंत्री आरसीपी सिंह का भाजपा में शामिल होना लगभग तय माना जा रहा है। खरमास बाद इसके लिये आरसीपी के गृह जिला नालंदा के बिहार शरीफ में एक भव्य कार्यक्रम की तैयारी की जा रही है। उधर उसी जिले के भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष और मीडिया विभाग के प्रमुख राजीव रंजन ने पार्टी छोड़ दी है। वह फिर अपने पुराने घर जदयू में लौट सकते हैं। इन दिनों मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से उनकी नजदीकी बढ़ी है। लोजपा प्रमुख और केंद्रीय मंत्री पशुपति कुमार पारस ने श्रवण को पार्टी से निकाल दिया है। इन्हें भी नये ठिकाने की तलाश है। चर्चा है कि कई दलों के संगठन से जुड़े प्रदेश पदाधिकारी भी प्रदेश नेतृत्व से असंतुष्ट होकर दल और दिल बदलने की तैयारी कर रहे हैं। उल्लेखनीय है कि बिहार में खरमास खत्म होने के बाद दल बदलने की परंपरा भी रही है। इसी को दोहराने की तैयारी चल रही है। वर्तमान में घोषित तौर पर दो नेताओं को शुभ मुहूर्त का बेसब्री से इंतजार है। दोनों नेता अपने-अपने दल के लिए मीडिया मैनेजर के रूप में शुमार रहे हैं। अब दोनों नया ठौर तलाश रहे हैं। बिहार में वर्ष 2018 के चूड़ा-दही भोज के बाद कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अशोक चौधरी ने पाला बदल लिया था, तब जदयू के प्रदेश अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह की ओर से भोज का आयोजन हुआ था। डेढ़ महीने बाद अशोक चौधरी जदयू में शामिल हो गए थे। इसबीच सत्तारूढ़ दल की ओर से एक ही दिन दो भोज के आयोजन की घोषणा को लेकर कई मायने निकाले जा रहे हैं। पहला भोज राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव और पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी के आवास पर होगा। वहीं, दूसरा चूड़ा-दही का न्यौता जदयू संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष और पूर्व केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा दे रहे हैं। ऐसे में चूडा-दही के बहाने सियासत तेज होने की संभावना व्यक्त की जाने लगी है। राजद में भी काफी उत्साह का माहौल देखा जा रहा है। संभव है कि खरमास बाद सत्ता की ताज तेजस्वी यादव के सिर सज भी सकता है। उसका गणित भी बिठाया जा रहा है। भाजपा के द्वारा भी कई तरह के दावे किये जा रहे हैं। ऐसे चूडा-दही के बहाने नये सियासी ठिकाने तलाशे जा सकते हैं।
लेखक : न्यूजवाणी के बिहार के प्रधान संपादक है और यूएनआई के ब्यूरो चीफ रह चुके हैं