महेश कुमार सिन्हा
पटना : बिहार के राजनीतिक गलियारों में इन दिनों यह चर्चा जोर पकड़ती जा रही है कि नीतीश कुमार अब सिर्फ नाम के मुख्यमंत्री रह गये हैं और सारा काम डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव देख रहे हैं। राज्य के नये डीजीपी आरएस भट्टी की तेजस्वी यादव से हाल की मुलाकात को इसी से जोड़ कर देखा जा रहा है। जानकारों की मानें तो किसी मंत्री के दरबार में जाकर डीजीपी के हाजिरी लगाने की शायद यह पहली घटना है। तेजस्वी यादव भले ही डिप्टी सीएम के पद पर काबिज हों, लेकिन संवैधानिक तौर पर वह सिर्फ एक मंत्री ही हैं। संविधान में डिप्टी सीएम का कोई प्रावधान नहीं है और शपथ भी मंत्री पद की ही दिलाई जाती है। ऐसे में पदभार ग्रहण किये जाने के फौरन बाद डिप्टी सीएम के दरबार में डीजीपी आरएस भट्टी के हाजिर होने पर अटकलों का बाजार गर्म है। हालांकि दोनों ने इस मुलाकात को शिष्टाचार भेंट बताया है। पर सूत्रों के अनुसार डीजीपी ने तेजस्वी यादव से मुलाकार कर राज्य की कानून-व्यवस्था को बेहतर बनाने को लेकर सलाह मशविरा-किया है। उल्लेखनीय है कि जब तेजस्वी यादव से मिलकर डीजीपी निकले थे तब उप मुख्यमंत्री ने आरएस भट्टी की जमकर प्रशंसा की थी। अबतक के प्रचलन के अनुसार डीजीपी और मुख्य सचिव पदभार ग्रहण करने के बाद राज्य के मुख्यमंत्री और गृह मंत्री के प्रति ही जवाबदेह होते हैं। वे सलाह-मशविरा भी उन्हीं से लेते हैं। ऐसे में उनके यहां जाना संवैधानिक तौर पर उचित भी माना जाता है। लेकिन किसी अन्य विभाग के मंत्री के यहां डीजीपी का जाना चर्चा का विषय बनना स्वाभाविक है। सियासत के जानकारों का मानना है कि अब चूंकि तेजस्वी यादव की जल्द ही मुख्यमंत्री पद पर ताजपोशी संभावित है, ऐसे में डीजीपी के तेजस्वी यादव के दरबार में दस्तक दिया जाने को उसी कड़ी से जोडकर देखा जा रहा है। गौरतलब है कि आरएस भट्टी लालू यादव और राबड़ी देवी के शासनकाल में अपनी अहम भूमिका निभा चुके हैं।
लेखक : न्यूजवाणी के बिहार के प्रधान संपादक हैं और यूएनआई के ब्यूरो चीफ रह चुके हैं