पटना : पटना हाईकोर्ट ने बिहार सरकार को एक बड़ा झटका देते हुए राजीवनगर/नेपालीनगर क्षेत्र में अतिक्रमण हटाने के क्रम में तोडे गए मकानों के लिए पांच-पांच लाख रूपए क्षतिपूर्ति देने का आदेश दिया है। इस तरह से कोर्ट ने याचिकाओं को स्वीकृत करते हुए वहां के नागरिकों को बड़ी राहत दी है। कोर्ट ने अपने निर्णय में ये स्पष्ट किया कि जो भी निर्माण 2018 के पहले बने है, उस पर दीघा लैण्ड सेटलमेंट एक्ट के तहत किया जाना है। आवास बोर्ड और प्रशासन की ओर से लगाई गई याचिका को हाईकोर्ट ने रद्द कर दिया है। न्यायधीश संदीप कुमार की बेंच ने तोड़े गए मकान के बदले पांच-पांच लाख मुआवजा देने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने प्रशासन द्वारा नेपालीनगर क्षेत्र में मकान तोड़े जाने को अवैध ठहराया है। याचिका पर करीब चार महीने पहले न्यायधीश संदीप कुमार की बेंच में सुनवाई पूरी हो गई थी। कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा था। लंबे इंतजार के बाद गुरुवार को कोर्ट ने फैसला सुनाया। इससे 400 एकड़ में रहे रहे 2000 से ज्यादा परिवार वालों को राहत मिली है। कोर्ट ने इस मामले पर निर्णय देते हुए कहा कि जिन लोगों के मकानों को गैर कानूनी तरीके से तोड़ा गया है, उन्हें पांच- पांच लाख रुपए मुअवजा दिया जाए, यदि क्षतिपूर्ति की राशि अगर अधिक हो तो उस पर विचार कर देना होगा। पूर्व की सुनवाई में कोर्ट ने बिहार राज्य आवास बोर्ड को बताने को कहा था कि अब तक पटना में उसने कितनी कॉलोनियों का निर्माण और विकास किया है। साथ ही कोर्ट ने राज्य सरकार को एमिकस क्यूरी संतोष सिंह द्वारा प्रस्तुत दलीलों का अगली सुनवाई में जवाब देने का निर्देश दिया था। पिछली सुनवाई में कोर्ट ने राज्य सरकार को बिहार राज्य आवास बोर्ड के दोषी अधिकारियों और जिम्मेवार पुलिस वाले के विरुद्ध की जाने वाली कार्रवाई की कार्य योजना प्रस्तुत करने को कहा था। कोर्ट ने कहा था कि ये बहुत आश्चर्य की बात है कि इनके रहते इस क्षेत्र में इतने बड़े पैमाने पर नियमों का उल्लंघन कर मकान बना लिए गए। गौरतलब है कि 21 जुलाई 2022 को जिला प्रशासन की टीम नेपाली नगर में अतिक्रमण हटाने पहुंची थी। टीम का कहना था कि लोगों को नोटिस दे दिया गया है। सभी अवैध कब्जा बनाकर रह रहे हैं। वहीं लोगों का कहना था कि हमें कोई नोटिस नहीं दिया गया है। हम यहां कई सालों से रह रहे हैं।