पटना : भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष और मीडिया प्रभारी राजीव रंजन के पार्टी इस्तीफे के बाद भाजपा ने भी उन्हें छह साल के लिए निलंबित कर दिया है। हालांकि राजीव रंजन के इस्तीफे से पहले भाजपा के अधिकांश नेता उनके खिलाफ हो गये थे। भाजपा के नेता सोशल मीडिया में इनके खिलाफ लिखने लगे थे। भाजपा नेता बिना नाम लिये राजीव रंजन को ‘भेदिया’ बता रहे हैं। भाजपा नेता कह रहे कि ये लंबे समय से पार्टी के खिलाफ काम कर रहे थे और जानकारी जदयू नेतृत्व को दे रहे थे। राजीव रंजन भाजपा के प्रदेश नेतृत्व के इतने नजदीक थे कि इऩ्हें प्रदेश उपाध्यक्ष की जिम्मेदारी के साथ-साथ प्रदेश मीडिया प्रभारियों का इंचार्ज भी बनाया गया था। राजीव रंजन के खिलाफ मीडिया प्रभारियों ने ही मोर्चा खोल दिया था। भाजपा के प्रदेश मीडिया प्रभारी राजेश झा ”राजू” ने राजीव रंजन के इस्तीफे से पहले ही सोशल मीडिया पर इनकी पोल खोल दी थी। राजेश झा राजू ने लिखा था कि राजीव रंजन जदयू के लिए काम कर रहे हैं। दल में रहकर दलीय निष्ठा के खिलाफ काम कर रहे हैं। समाचार पत्र के माध्यम से सस्ती लोकप्रियता हासिल करने का प्रयास कर रहे हैं। हमारे माननीय या अपने आका को संतुष्ट कर रहे हैं। आप जैसे लोग निजी स्वार्थ के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं। यही नही भाजपा नेताओं ने राजीव रंजन को विभीषण करार दिया है। इस्तीफा देने के पीछे की प्रमुख वजह जदयू प्रेम रहा। पिछले दिनों राजीव रंजन ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह से मुलाकात की थी। तब से उनकी बोली बदल गई थी। जहरीली शराब कांड में पूर्व विधायक राजीव रंजन ने पार्टी लाइन के खिलाफ जाकर बयानबाजी की थी। एक तरफ जहां पूरी पार्टी जहरीली शराब से मौत मामले में मुआवजे की मांग कर रही थी, वहीं प्रदेश उपाध्यक्ष राजीव रंजन ने इसे गलत बताया था। तभी यह साफ हो गया था कि राजीव रंजन ने जदयू की लाइन पकड़ ली है। भाजपा नेताओं का मानना था कि राजीव रंजन शऱीर से भले ही भाजपा में रहे हों, लेकिन ये काम अपनी पुरानी पार्टी जदयू के लिए करते थे।