महेश सिन्हा
बिहार सरकार राज्य में जातियों की गिनती को लेकर अति उत्साहित दिख रही है। वहीं विपक्षी भाजपा सरकार पर नयी जातियों को शामिल कर अति पिछड़ों के आरक्षण में कमी कमी करने का आरोप लगा रही है। सरकार के उच्चपदस्थ सूत्रों के अनुसार राज्य में जातियों की गिनती नये साल में शुरू होगी और मई 2023 तक पूरी हो जायेगी। इससे पहले राज्य,जिला और प्रखंड स्तरीय कर्मियों को प्रशिक्षण दिया जायेगा। इसके लिये अलग-अलग कर्मियों की लिस्ट बनायी जा रही है। सूत्रों के अनुसार दिसंबर के पहले सप्ताह में होने वाले राज्यस्तरीय प्रशिक्षण के लिये सभी जिलों से 10-10 अधिकारियों की सूची मांगी गयी है। राज्यस्तरीय प्रशिक्षण पाने वाले अधिकारी अपने-अपने जिले मे कर्मियों को प्रशिक्षित करेंगे। जिला स्तर पर प्रशिक्षण प्राप्त करने वाले प्रखंडों में कर्मियों को प्रशिक्षित करेंगे। सूत्रों ने बताया कि राज्य में जाति आधारित जनगणना के लिये ऐप और पोर्टल निर्माण के वास्ते सरकार ने दो करोड़ 44 लाख 94 हजार 440 रुपये की मंजूरी दी है। साॅफ्टवेयर बनाने की जिम्मेवारी बेलट्राॅन को दी गयी है। एप और पोर्टल निर्माण के बाद जातियों की गिनती से संंबंधित आंकड़ों को संग्रहित करने और सुरक्षित रखने में सुविधा होगी। राज्य सरकार जातियों की गिनती के साथ ही आर्थिक गणना भी कराने जा रही है। सूत्रों ने बताया कि यह काम दो चरणों में पूरा होगा। पहले चरण में मकानों की गिनती होगी। उस पर नंबर लिखा जायेगा। इसके बाद जातियों की गिनती के साथ आर्थिक गणना की शुरुआत होगी। इस बीच भाजपा नेता और पूर्व मंत्री भीम सिंह ने कहा है कि सरकार की मंशा नयी जातियों को शामिल कर अति पिछड़ों के आरक्षण में कमी करने की है। उन्होंने आरोप लगाया है कि अति पिछड़ों को आरक्षण देने के लिये सरकार द्वारा गठित आयोग राजनीति से प्रेरित है।
लेखक : न्यूजवाणी के बिहार के प्रधान संपादक है और यूएनआई के ब्यूरो चीफ रह चुके हैं।
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