पटना : मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की समाधान यात्रा पर भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष डॉ संजय जायसवाल ने तंज कसा है। उन्होंने मंगलवार को कहा कि यह समाधान नहीं बल्कि टाइम पास यात्रा है।श्री जायसवाल ने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने बिहार की समस्याओं का समाधान नहीं किया। उल्टे दोनों मिलकर समस्या को बढ़ाने का काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि मैं इसे नाटक से ज्यादा कुछ नहीं मानता। मुख्यमंत्री ने जितने भी जिलों का दौरा किया, उनमें से एक भी जिले की समस्याओं का समाधान नहीं किया गया। डॉ जायसवाल ने कहा कि एक गांव की रंगाई-पुताई करके पूरे बिहार का विकास बताया जा रहा है। समाधान तो दूर, नीतीश और तेजस्वी मिलकर उल्टे समस्या खड़ी कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि केंद्र प्रायोजित योजनाओं के लिए सरकार जमीन नहीं दे पा रही हैं। बिहार के सत्ता के शीर्ष पर बैठे चाचा भतीजा(नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव) में कौन ज्यादा बड़ा पलटू राम है, यह तय कर पाना मुश्किल है। दोनों मिलकर बिहार में समय पास यात्रा निकाल रहे हैं। जबकि समाधान पटना से होना है। आज भी सीटीईटी-बीटीईटी के युवा अपनी नौकरी का इंतजार कर रहे हैं। लेकिन छात्रों को लाठियां मिल रही हैं। उन्होंने कहा कि तेजस्वी यादव कहा करते थे कि पहली कैबिनेट की बैठक में 10 लाख नौकरियां देंगे। उसका क्या हुआ? डा. जायसवाल ने कहा कि बिहार में हर परीक्षा के प्रश्न लीक हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि पूरे हिन्दुस्तान में कही भी प्रश्न पत्र लीक होता है तो लीक करने वाले वाला नालंदा में मिलता है। उत्तर प्रदेश में भी प्रश्न पत्र लीक नालंदा के व्यक्ति ने किया। मध्य प्रदेश का व्यापम घोटाला भी नालंदा के व्यक्ति के द्वारा किया गया। युवा जब प्रश्न उठाते हैं तो केवल लाठियां मिलती हैं। उन्होंने कहा कि सत्ता में आने से पहले परीक्षा घोटाले में तेजस्वी, नीतीश को जिम्मेवार मानते थे और छात्रों को ₹5000 मुआवजा देने की बात करते थे। अब केवल छात्रों को लाठियों से पुरस्कृत किया जा रहा है। डॉ जायसवाल ने नीतीश सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि बिहार में आज भी लोग खाद के लिए लाइन लगने को मजबूर हैं। जबकि 13 लाख 80 हजार बोरा यूरिया बिहार में उपलब्ध है। ऐसे में किस परिस्थिति में यूरिया नहीं मिल रहा है। यह नीतीश सरकार को बताना चाहिए। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार राज्य के मदरसों में डिग्री कॉलेज खोलने की बात करते हैं। लेकिन, बिहार के किसी कालेज में स्ट्रेंथ के हिसाब से प्रोफेसर नहीं है। वही हाल प्रदेश के युवाओं का भी है, आज भी बिहार के युवा रोजगार के इंतजार में बैठे हैं। पांच हजार नौकरियां प्रोफेसर की खाली है। बिहार में किसी भी यूनिवर्सिटी में पर्याप्त प्रोफेसर नहीं है। जिससे पठन पाठन पर खासा असर पड़ रहा है।