पटना : आगामी लोकसभा चुनाव के मद्देनजर विपक्ष की एकजुटता को लेकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार मंगलवार को एक बार फिर दिल्ली की यात्रा पर निकले हैं।वह दिल्ली में कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खडगे और सोनिया गांधी सहित कई नेताओं से मुलाकात कर सकते हैं। इसके आलावे वह राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव से भी मिलेंगे। दरअसल, लालू यादव चेकअप के लिए सिंगापुर जाने वाले हैं। ऐसे में उनके सिंगापुर निकलने से पहले नीतीश कुमार उनसे मुलाकात करेंगे। किडनी ट्रांसप्लांट कराने के बाद से लालू लगातार दिल्ली में ही हैं। बताया जाता है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार 13 अप्रैल को पटना वापस लौटेंगे। तीन दिनों के दिल्ली प्रवास के दौरान नीतीश कुमार विपक्षी दलों के नेताओं के साथ बैठक कर सकते हैं। पिछले दिनों कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मलिकार्जुन खडगे ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से फोन पर बातचीत भी की थी। मुख्यमंत्री ने तब इशारा किया था कि बहुत सारी बातें हो चुकी हैं। समय आने पर वह बातें बताई जाएंगी। नीतीश कुमार ने विपक्षी एकता के लिए कांग्रेस को साथ चलने की शर्त रखी थी। हालांकि इसमें ममता बनर्जी, अरविंद केजरीवाल, केसीआर ने सहमति नहीं बनाई थी। लेकिन, नीतीश कुमार बार-बार विपक्षी एकता के लिए कांग्रेस को साथ लेकर चलने की बात कह रहे हैं। इसी कवायद को आगे बढ़ाते हुए उन्होंने पिछले दिनों मल्लिकार्जुन खड़गे से बातचीत की थी। उन्होंने कहा था कि यह सकारात्मक दिशा की ओर बढ़ रही है। बता दें कि नीतीश कुमार पहले भी दो बार दिल्ली की यात्रा कर चुके हैं। उन्होंने पहले ही कहा था कि विधानमंडल के बजट सत्र के बाद वे विपक्षी एकता के लिए देश के दौरे पर निकलेंगे। अब जब बजट सत्र समाप्त हो चुका है तो नीतीश पूरी मजबूती के साथ विपक्षी एकजुटता की मुहिम में जुट गए हैं। अपनी इसी मुहिम को धार देने के लिए नीतीश मंगलवार की शाम दिल्ली पहुंचे हैं। एनडीए से अलग होने के बाद नीतीश कुमार ने विपक्षी एकजुटता को लेकर दिल्ली में सोनिया गांधी और राहुल गांधी समेत विपक्ष के तमाम बड़े नेताओं से मुलाकात की थी। सियासी मुलाकातों के बाद कोई ठोस नतीजा नहीं निकलने के बाद नीतीश वापस पटना लौट आए थे। कुछ ही दिनों पहले सूरत की कोर्ट ने विपक्ष के पीएम पद के उम्मीदवार राहुल गांधी को आपराधिक मानहानी के मामले में दो साल की सजा सुना दी। दो साल की सजा होने के बाद राहुल गांधी की संसद सदस्यता चली गई। लिहाजा अब कांग्रेस को भी लगने लगा है कि नीतीश ही उसकी नैया पार लगा सकते हैं। ऐसे में नीतीश कुमार को फिर से उम्मीद जगी है और वह संभावनाओं की तलाश में दिल्ली जा पहुंचे हैं।