Tuesday, October 3, 2023

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कुढ़नी में महागठबंधन की हार के बाद चौतरफा घिरे सीएम नीतीश कुमार

पटना। बिहार में कुढ़नी विधानसभा उपचुनाव में महागठबंधन की हार के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार चौतरफा घिरते नजर आ रहे हैं। विपक्षी दल भाजपा के साथ ही महागठबंधन में सहयोगी दल कांग्रेस, हम और राजद के नेता भी उन पर तंज कसते हुए कई तरह के सवाल उठा रहे हैं। राजद के पूर्व विधायक अनिल सहनी ने कहा है कि यह महागठबंधन की हार नहीं बल्कि अकेले जदयू और सीएम नीतीश कुमार की हार है। उन्होंने सीधे तौर पर कहा कि अब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अपनी कुर्सी छोड़ दें और इस पद से इस्तीफा दें। उन्होंने कहा कि अब वक्त आ गया है जब उन्हें तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री बना देना चाहिए। अनिल सहनी ने कहा कि कुढ़नी में हार के बाद नीतीश कुमार को नैतिकता के आधार पर जल्द इस्तीफा दे देना चाहिए। उन्होंने कहा कि इस चुनाव में नीतीश कुमार ने अतिपिछड़ों की सीट अपने पास ले ली और अपने सिंडिकेट के माध्यम से उम्मीदवार उतारा। नीतीश को सोचना चाहिए था कि राजद के लिए यह सीट कितनी महत्वपूर्ण थी। कुढ़नी के अति पिछड़ा समाज ने अति पिछड़ा को अपना प्रतिनिधि चुना है और नीतीश कुमार से अति पिछड़ा वोट अब अलग हो गया है। उन्होंने कहा कि नीतीश को अब जनता पहचान गई है।गौरतलब है कि पहले अनिल सहनी के पास ही यह सीट थी। अनिल को एक मामले में सजा होने के कारण कुढ़नी सीट खाली हुई थी। अनिल की पत्नी उपचुनाव में इस सीट के लिये राजद की प्रबल दावेदार थीं। लेकिन नीतीश की जिद के कारण राजद को जदयू के लिये यह सीट छोड़नी पड़ी।इससे पहले कांग्रेस विधायक दल के नेता अजीत शर्मा ने शराबबंदी कानून को कुढ़नी की हार के लिए जिम्मेदार ठहराया था। जबकि हम नेता दानिश रिजवान ने महागठबंधन में कॉर्डिनेशन कमिटी बनाने की मांग फिर से कर दी है। वहीं, वामपंथी नेता पहले से ही नीतीश कुमार की पुलिस और अन्य विभाग के अधिकारियों पर मनमाने तरीके से काम करने की शिकायत कर चुके हैं। उधर, कुढ़नी चुनाव में हार के लिए चौतरफ दवाब झेल रही जदयू के नेता भी पलटवार करते नजर आ रहे हैं। जदयू प्रवक्ता सुनील कुमार राजद के पूर्व विधायक अनिल सहनी को नसीहत देते हुए कहा कि वे जो बोलते हैं। वह उनकी निजी राय है। उनका बयान राजद का आधिकारिक बयान नहीं है। कुढ़नी में मिली हार की समीक्षा होगी। हर मुद्दे पर चर्चा होगी या फिर कहां चूक हुई है और इसमें किसकी गलती है। इस पर चर्चा की जाएगी। सहयोगी दलों के कोर्डिनेशन कमेटी की मांग को लेकर भी जदयू ने शीर्ष नेतृत्व के फैसले को नरार दिया है। उन्होंने कहा कि इस पर हमारे शीर्ष नेता ही पहल कर सकते हैं।

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