महेश कुमार सिन्हा
पटना : बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के राज्यों के दौरों से विपक्षी एकता के पक्ष में बन रहे माहौल के बीच कर्नाटक के नतीजों से इस मुहिम को नयी ताकत मिली है। कर्नाटक विधान सभा चुनाव में कांग्रेस की निर्णायक जीत का असर अब साफ नजर आने लगा है। कांग्रेस अब विपक्षी एकता के केन्द्र में आ गयी है। कांग्रेस के प्रति सख्त रवैया अपनाये बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के रुख में भी बदलाव आया है। सूत्रों के हवाले से यहां मिली जानकारी के अनुसार ममता बनर्जी ने क्षेत्रीय दलों की ओर से कांग्रेस को संदेश भेजा है। इसमें कहा गया है कि जिन राज्यों में कांग्रेस की स्थिति मजबूत है,वहां हम उसका साथ देंगे। पर जहां क्षेत्रीय दल मजबूत हैं,वहां कांग्रेस को उनका समर्थन करना होगा। ममता बनर्जी ने कहा है। ममता बनर्जी ने कहा है कि उनके आकलन के अनुसार लोकसभा की 200 सीटों पर कांग्रेस की स्थिति मजबूत है। लेकिन बंगाल में तृणमूल,बिहार में राजद-जदयू ,यूपी में सपा ओर दिल्ली मे आप मजबूत है। उन्होंने कहा यह भी कहा है कि ऐसी नीति नहीं होनी चाहिए कि हम कर्नाटक में कांग्रेस का साथ दें और वह बंगाल में हमारे खिलाफ काम करे। ममता बनर्जी ने स्पष्ट शब्दों में कहा है कि अगर कांग्रेस चाहती है कि भाजपा के खिलाफ विपक्ष एकजुट हो,तो उसे भी कुछ त्याग करना होगा। सूत्रों के मुताबिक ममता बनर्जी के इस संदेश को कांग्रेस ने सकारात्मक तौर पर लिया है। सूत्रों की माने तो नीति आयोग की बैठक के सिलसिले में अपने दिल्ली प्रवास के दौरान ममता बनर्जी कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे से मिल सकती हैं। मालूम हो कि इससे पहले नीतीश कुमार और राकांपा प्रमुख शरद पवार भी विपक्षी एकता के लिये कांग्रेस से सहयोग मांग चुके हैं। दरअसल कांग्रेस से हरी झंडी मिलने के बाद ही मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने गैर भाजपा दलों को एकजुट करने की मुहिम में राज्यों का दौरा शुरू किया था। नीतीश कुमार इस सिलसिले अब तक दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल, बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव, ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक,झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन,महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे और राकांपा प्रमुख शरद पवार से मिल चुके हैं।
लेखक : वरिष्ठ पत्रकार हैं।