पटना : विधानसभा के शीतकालीन सत्र के दौरान बुधवार को नीतीश सरकार को सदन के अंदर और बाहर दोनों जगहों पर विरोध झेलना पड़ा। यहां तक कि सरकार को समर्थन कर रही भाकपा-माले ने भी नीतीश सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। माले विधायकों ने सदन के बाहर पोस्टर लहराकर धान खरीद और शिक्षक नियुक्ति के मामले में नीतीश सरकार को जिम्मेदार बनने को कहा। माले विधायकों ने कहा कि हम सरकार को समर्थन कर रहे हैं, लेकिन सरकार को जनहित के मुद्दों पर सजग होना चाहिए। उन्हें किसानों और छात्रों के मामले में गंभीरता दिखानी चाहिए। राज्य में लगातार किसान, छात्र और बेरोजगार उपेक्षित हैं। माले विधायकों ने नीतीश सरकार से मांग की कि राज्य में 3500 रुपए प्रति क्विंटल धान खरीद की गारंटी होनी चाहिए। मंडी व्यवस्था बहाल करने की भी मांग की गई। साथ ही अरवा-उसना की बाध्यता खत्म करने और सभी किस्म के धान खरीद की गारंटी लेने की नीतीश सरकार से मांग की गई। विधायकों ने किसान हित में राज्य में एपीएमसी एक्ट को पुनर्बहाल करने पर जोर दिया। इसके पक्ष में उन्होंने नारेबाजी की। उन्होंने कहा कि राज्य में धान खरीद का समय 31 मार्च तक बढ़ाया जाए। इसके साथ ही राज्य के विभिन्न विभागों में रिक्त पदों को लेकर भी माले सदस्यों ने आवाज बुलंद की। उन्होंने पोस्टर लहराकर नीतीश सरकार से खाली पदों पर अविलंब बहाली करने और शिक्षक अभ्यर्थियों की मांगों पर सरकार से गंभीरता दिखाने को कहा। साथ ही अतिथि शिक्षकों का समायोजन करने की मांग की गई। विधायकों ने कहा कि छात्र और बेरोजगर लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं। उनकी बहाली रुकी हुई है। दूसरी ओर बड़े स्तर पर रिक्तियां हैं। इसलिए रिक्त पदों को भरने की वे नीतीश कुमार से मांग करते हैं। माले सदस्यों ने कहा कि हम सरकार को समर्थन कर रहे हैं। लेकिन जनहित के मुद्दों पर हम सरकार से मांग भी करते रहेंगे। सदन की कार्यवाही चल रही है इसलिए सरकार का ध्यान इन मुद्दों पर आकृष्ट किया जा रहा है।