महेश कुमार सिन्हा
पटना। जदयू का शीर्ष नेतृत्व भले ही यह कह रहा हो कि पार्टी में ऑल इज वेल है, लेकिन सच्चाई इससे अलग है।राजनीतिक हलकों में राज्यसभा के उप सभापति हरिवंश नारायण सिंह के हाल के बिहार दौरे को इसी से जोड़ कर देखा जा रहा है। जाने-माने पत्रकार हरिवंश नारायण सिंह राज्यसभा में जदयू के सदस्य हैं। लेकिन अपने बिहार प्रवास के दौरान उन्होंने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मुलाकात करना भी मुनासिब नहीं समझा। हरिवंश नारायण सिंह पिछले दिनों अपनी पुस्तक के विमोचन के सिलसिले में पटना आये थे। उनकी पुस्तक का विमोचन पटना पुस्तक मेला में हुआ। इस दौरान उन्होंने कई लोगों से मुलाकात भी की। यही नहीं पुस्तक विमोचन के दौरान कई लोगों का जमावड़ा भी देखा गया, लेकिन इस दौरान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की चर्चा कहीं दूर-दूर तक सुनाई नहीं दे रही थी। जबकि इसके पहले हरिवंश नारायण सिंह के हर कार्यक्रम में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की मौजूदगी निश्चित तौर पर हुआ करती थी। दरअसल, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के एनडीए छोड़कर महागठबंधन के साथ जाने से हरिवंश नारायण सिंह खुश नहीं हैं। इसका इजहार भी वह कई मौकों पर कर चुके हैं। उनका कहना है कि नीतीश कुमार ने महागठबंधन के साथ जाने के अपने निर्णय के बारे में न तो कभी उन्हें बताया और न ही कभी इसकी चर्चा उनसे की। ऐसे में वह व्यक्तिगत तौर पर नीतीश कुमार के इस निर्णय से खुश नही हैं। शायद यही कारण है कि नीतीश कुमार के एनडीए का साथ छोड़ दिये जाने के बावजूद हरिवंश ने राज्यसभा में उपसभापति के पद से इस्तीफा नहीं दिया। इस वजह से नीतीश कुमार उनसे नाराज बताये जा रहे हैं। इस तरह हरिवंश और नीतीश कुमार के बीच दूरियां देखी जाने लगी हैं। जानकारों की मानें तो हरिवंश नारायण सिंह ऐसे व्यक्तित्व के स्वामी हैं कि उन्होंने खुलकर नीतीश कुमार से विरोध जता दिया, लेकिन पार्टी में और वैसे नेता नहीं हैं जो खुलकर नीतीश कुमार का विरोध कर सकें। लेकिन दबी जुबान से जदयू के कई नेता नीतीश कुमार के महागठबंधन के साथ जाने के निर्णय पर नाराजगी जता रहे हैं। लेकिन उनमें इतनी हिम्मत नहीं है कि वे खुलकर सामने आयें।
लेखक : न्यूजवाणी के बिहार के प्रधान संपादक हैं और यूएनआई के ब्यूरो चीफ रह चुके हैं