महेश कुमार सिन्हा
पटना। बिहार सरकार ने राज्य में बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं को ध्यान में रखते हुये एक नयी पहल की है। इसके तहत 50 वर्ष से अधिक के डॉक्टर अब सिविल सर्जन के पद पर पदस्थापित नहीं होंगे। स्वास्थ्य विभाग के सूत्रों ने बताया कि फिलहाल राज्य के अंदर अधिकतर सिविल सर्जन की आयु 50 वर्ष से अधिक है। इसको लेकर इनकी कार्यशैली पर अक्सर सवाल उठते रहते हैं। इसी वजह से यह पहल की जा रही है। स्वास्थ्य विभाग का मानना है कि सिविल सर्जन फील्ड के लिए सबसे सक्षम और वरीय प्रशासनिक पदाधिकारी होते हैं। ऐसे में उनका हर तरह से फिट होना बेहद जरूरी है। इसी को ध्यान में रखते हुए विभाग इस प्रस्ताव पर काम कर रहा है कि क्यों न सिविल सर्जन की अधिकतम उम्र सीमा 50 वर्ष कर दी जाए। इससे अधिक उम्र वाले चिकित्सकों को सिविल सर्जन की जिम्मेवारी नहीं दी जाए। सूत्रों के अनुसार इस प्रस्ताव को अंतिम रूप दिया जा चुका है। अब बस इसे जल्द से जल्द लागू करने की तैयारी है। वहीं, दूसरी तरफ पिछले दिनों बिना उचित वजह के प्रखंड और जिलों के अस्पतालों द्वारा मरीजों को रेफर करने वाले चिकित्सकों पर भी कार्रवाई करने की योजना बन रही है। इसे लेकर विभाग ने डॉक्टरों की इस कार्यशैली में सुधार के लिए सरल पॉलिसी बनाने का निर्णय लिया है। इसका ड्राफ्ट तैयार कर लिया गया है। कैबिनेट की अगली बैठक में इसे मंत्रिपरिषद् के समक्ष रखे जाने की संभावना है। गौरतलब है कि बिहार के उपमुख्यमंत्री और स्वास्थ्य विभाग के मंत्री तेजस्वी यादव राज्य के अंदर बदहाल स्वास्थ्य सुविधाओं को जल्द से जल्द सुधारने को लेकर तत्पर दिख रहे हैं। वो खुद भी कई बार देर रात अस्पतालों के निरीक्षण पर निकल जाते हैं और कुछ गलत होते देख कर फटकार भी लगा चुके हैं। इसके साथ ही वे खुद मिशन-60 बहाल कर राज्य के सदर अस्पतालों में सुविधाएं बढ़ाने की दिशा में काम कर रहे हैं।
लेखक : न्यूजवाणी के बिहार के प्रधान संपादक हैं और यूएनआई के ब्यूरो चीफ रह चुके हैं