कुढ़नी से लौटकर महेश कुमार सिन्हा
पटना। मुजफ्फरपुर जिले के कुढ़नी विधानसभा क्षेत्र में उपचुनाव के लिए पांच दिसंबर को मतदान होना है। लेकिन क्षेत्र में भ्रमण के दौरान कहीं भी ऐसा नहीं लग रहा है कि यहां एक हफ्ते में वोट पड़ने वाले हैं। यहां जन-जीवन बिलकुल सामान्य है, आम दिनों की तरह। कोई खास चुनावी हलचल और शोर-शराबा दिखायर नहीं देता। तुर्की बाजार में राह चलते जब एक सज्जन से पूछा कि यहां वोट पड़ने वाला है तो उसने कहा- हां, पांच दिसंबर को यहां वोट पड़ेंगे। फिर उसने कहा कि यहां बाहर आपको शांति नजर आयेगी लेकिन भीतर मामला गर्माया हुआ है। आगे एक चाय की दुकान पर गया। वहां कुछ लोग चुनाव पर चर्चा कर रहे थे। मेरे यहां बैठने के थोड़ी देर बाद वे सभी उठ कर चले गये। तब मैंने चाय पीते-पीते दुकानदार से इस उपचुनाव को लेकर कुछ देर बातचीत की। उसका लब्बोलुआब यह है कि इस चुनाव में न तो कोई पार्टी है, न मुद्दा। लोग यहां उम्मीदवार का चेहरा (जाति) देख कर वोट डालेंगे। यानि जातियों की गोलबंदी ही इस चुनाव के नतीजे तय करेगी। चायवाले ने अपना नाम गोपी साव बताया। उसने कहा कि अभी जो स्थिति है उसके मुताबिक कुढ़नी में कुशवाहा को छोड़ कर बाकी सभी वैसी जातियां बंटी हुई नजर आ रही हैं, जो इस चुनाव में अहम भूमिका निभा सकती हैं। कुढ़नी में कहने को तो कुल 13 उम्मीदवार हैं। लेकिन मुख्य मुकाबला भाजपा के केदार प्रसाद गुप्ता और जदयू के मनोज कुशवाहा के बीच है। केदार वैश्य और मनोज कुशवाहा समाज से आते हैं। दोनों पुराने प्रतिद्वंदी हैं। ये दोनों 2015 के विधानसभा चुनाव में भी आमने-सामने थे। उस चुनाव में केदार 11,570 मतों से जीते थे। तब भी राजद और जदयू साथ थे और इस बार भी दोनों साथ हैं। इस उपचुनाव में दोनों मुख्य प्रतिद्वंदियों के बीच झपटमारी के लिए ओवैसी ने गुलाम मुर्तजा अंसारी को और मुकेश सहनी ने नीलाभ कुमार को मैदान में उतार दिया है। नीलाभ ब्रह्मर्षि समाज से हैं। यह समाज भाजपा का परंपरागत वोटर माना जाता है। वीआइपी के उम्मीदवार नीलाभ भाजपा के कोर वोट में सेंधमारी कर सकते हैं। ऐसे में ब्रह्मर्षि समाज के वोटरों को इंटैक्ट रखना सबसे बड़ी चुनौती है। उधर नीलाभ को पार्टी उम्मीदवार बनाये जाने से निषाद समाज मुकेश सहनी के खिलाफ हो गया है। इस समाज ने राजद छोड़ कर निर्दलीय चुनाव लड़ रहे शेखर सहनी को वोट देने का मन बनाया है।अब यह देखना है कि मुकेश सहनी की विरोधी की पहचान रखने वाले मुजफ्फरपुर के भाजपा सांसद अजय निषाद अपने समाज का कितना वोट पार्टी को दिलवा पाते हैं। उनकी प्रतिष्ठा भी इस चुनाव से जुड़ गयी है। कुढ़नी में ब्रह्मर्षि और निषाद समाज का वोट निर्णायक माना जाता है। मुजफ्फरपुर जिले में एक साल के अंदर यह दूसरा उपचुनाव है। इसके पहले बोचहा उपचुनाव में भाजपा राजद से मामूली वोटों के अंतर से हार गयी थी। इससे सांसद की फजीहत हुई थी। ऐसे में इस उपचुनाव में स्थानीय सांसद की भी परीक्षा होनी है। उधर, राजद खेमे में अभी तक कोई उत्साह नहीं दिख रहा है। पार्टी का उम्मीदवार नहीं होने के कारण कार्यकर्ता आराम की मुद्रा में हैं। महागठबंधन के उम्मीदवार (जदयू) के लिये यह खतरे की घंटी है। ओवैसी फैक्टर को लेकर मुस्लिम वोटों का बिखराव पहले से ही तय माना जा रहा है। इसका खामियाजा भी महागठबंधन के उम्मीदवार को ही भुगतना पड़ेगा।