महेश कुमार सिन्हा
पटना : बिहार में जहरीली शराब से मरने वालों के परिजनों को मुआवजा देने के मामले में अचानक मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का हृदय परिवर्तन कैसे हुआ? यह अभी चर्चा का विषय बना हुआ है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जहरीली शराब से मरने वालों के परिवार को मुआवजा देने के खिलाफ थे। उनका कहना था कि राज्य में शराबबंदी कानून लागू है। ऐसे में जो गलत करेगा और पीयेगा वो मरेगा। इसमें मुआवजा का सवाल कहां उठता है?जबकि पिछले साल के अंत में सारण (छपरा) जिले में जहरीली शराब से बड़ी संख्या में हुई लोगों की मौत के बाद यह एक बड़ा मद्दा बना था। छपरा में जहरीली शराब से मरने वालों के परिजनों को मुआवजा देने की मांग को लेकर विपक्षी भाजपा ने सदन के के अंदर और बाहर जोरदार प्रदर्शन किया था। इसके चलते विधान मंडल का शीतकालीन सत्र बुरी तरह बाधित रहा। लेकिन नीतीश सरकार ने मृतकों के आश्रितों को मुआवजा देने से साफ इनकार कर दिया था।
मुआवजा देने की घोषणा कर चौंका दिया
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सोमवार को अचानक जहरीली शराब से मरने वालों के परिवार को चार-चार लाख रुपये मुआवजा देने की घोषणा कर सब को चौंका दिया। इस घोषणा के बाद राजनीतिक गलियारे में अटकलों का बाजार गरम। हो गया है। आम धारणा यही है कि आगामी चुनावों और वोट बैंक को लेकर नीतीश पर इसके लिये दवाब बढ़ रहा था। भाजपा को खुशफहमी है उसके दवाब में नीतीश सरकार ने यह निर्णय लिया है। पर जानकार सूत्रों की मानें तो जो काम भाजपा साथ रहकर 13-14 महीनों में नही कर सकी, वही काम पिछले 6-7 महीने में राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव ने कर दिखाया। कहा जा रहा है कि नीतीश कुमार का यह जो अचानक हृदय परिवर्तन हुआ है, वह राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव का कमाल है। लालू यादव के दबाव में नीतीश कुमार को अपने कठोर निर्णय से पलटी मारना पडा है। कारण कि राजद का मानना है कि जहरीली शराब से मरने वाले सारे गरीब हैं और वही राजद के मतदाता हैं, लिहाजा उनके परिवार को मदद दी जानी चाहिये। बिहार में 2016 से लेकर अब तक जहरीली शराब से मौत के आंकड़ों में खूब हेराफेरी हुई है। जहरीली शराब से मौत के हर वाकये में मृतकों की जितनी संख्या सामने आई, उसे सरकार ने खारिज कर दिया। सरकारी आंकड़ा कई गुणा कम रहा। जबकि 2016 से लेकर अब तक एक हजार से ज्यादा लोगों की मौत जहरीली शराब से होने की बात सामने आ चुकी है। हालांकि सरकार कुछ लोगों की मौत होने की ही बात मानती है। लेकिन जहरीली शराब से मौत के बाद लोगों में पनपे आक्रोश का अंदाजा राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव को हो गया है। दरअसल, जहरीली शराब से ज्यादातर दलित और पिछड़े वर्ग के लोगों की मौत हो रही है। हर घटना के बाद लोगों में आक्रोश बढ़ रहा है। महागठबंधन में शामिल दलों को लग रहा है कि उनके सियासी अरमान शराब में ही डूब कर खत्म हो जायेंगे। लिहाजा सात सालों तक चीखने-चिल्लाने के बाद नीतीश कुमार ने यू-टर्न मारा है।
आपा खो बैठे थे मुख्यमंत्री
उल्लेखनीय है कि चार माह पहले विधानसभा में जहरीली शराब से मौत पर जबर्दस्त हंगामा हुआ था। विधानसभा में जहरीली शराब पीकर मरने वाले लोगों के परिजनों को मुआवजा देने की मांग कर रहे भाजपा विधायकों पर मुख्यमंत्री आपा खो बैठे थे। बौखलाये नीतीश कुमार सदन के अंदर तू-तड़ाक पर उतर आये थे। उन्होंने कहा था कि जहरीली शराब से मौत पर मुआवजे की मांग करने वाले ही लोगों को शराब पिला रहे हैं। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार हर जगह चीख- चीख कर कह रहे थे-“जो पियेगा, वह मरेगा। शराब पीकर मरने वालों पर कोई रहम नहीं होगा।” नीतीश कुमार ही नहीं बल्कि उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव और सरकार के दूसरे मंत्री भी अड़े हुए थे-शराब पी कर मरने वालों को कोई मुआवजा नहीं मिलेगा। यह वाकया 14 दिसंबर 2022 का है। जब सारण जिले में जहरीली शराब पीने से लगभग सौ लोगों की मौत हो गई थी। लेकिन इसबार मोतिहारी जिले में जहरीली शराब से हुई मौत के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का रूख अचानक बदल गया। उन्होंने सोमवार की सुबह मुआवजा देने का ऐलान किया, उसके बाद राज्य सरकार ऐसे हरकत में आई जैसे जहरीली शराब से मरने वालों के परिवार के सबसे बडे हमदर्द वही हैं। नीतीश के ऐलान के बाद सरकार ने तीन प्रेस कांफ्रेंस किए। संसदीय कार्य मंत्री विजय चौधरी ने मीडिया के सामने लंबी-चौड़ी सफाई दी। उसके बाद उत्पाद एवं मद्य निषेध मंत्री सुनील कुमार ने बताया कि कैसे मुआवजा मिलेगा और फिर मुख्य सचिव आमिर सुबहानी के साथ मद्य निषेध विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक ने प्रेस कांफ्रेंस कर समझाया कि सरकार मुआवजा कैसे देगी। आनन फानन में इसका पत्र भी जारी कर दिया गया है और उसे जिला प्रशासन को भेज दिया गया है।
लेखक : न्यूजवाणी के बिहार के प्रधान संपादक हैं और पूर्व में यूएनआई के ब्यूरो चीफ रह चुके हैं।