महेश कुमार सिन्हा
पटना : बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार राजनीति में एक ईमानदार और स्वच्छ छवि वाले नेता के रुप में जाने जाते रहे हैं। कार्यकर्ताओं और नेताओं ही नही, आम जनता के बीच भी वह काफी लोकप्रिय रहे हैं। अपनी इन्ही खूबियों की वजह से वह राजनीति में इस मुकाम तक पहुंचे हैं। केन्द्र में कृषि और रेल जैसे महत्वपूर्ण मंत्रालय संभालने के बाद 17 से यहां मुख्यमंत्री की कुर्सी पर विराजमान हैं। लेकिन इस दौरान पलटी मारने में महारथ हासिल कर उन्होंने अपनी विश्वसनीयता खो दी। अब आम जनता या दूसरे दलों का क्या कहना खुद उनकी पार्टी के लोगों को उन पर भरोसा नहीं रहा। यही वजह है कि आज जदयू में घमासान मचा हुआ है। पार्टी टूट के कगार पर है। इससे पार्टी नेताओं के साथ कार्यकर्ता भी हलकान हैं। उधर, राजद नेताओं की ओर से नीतीश सरकार के खिलाफ बयानबाजी लगातार जारी है। राजद विधायक सुधाकर सिंह के बाद पार्टी के उपाध्यक्ष उदय नारायण चौधरी ने नीतीश कुमार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। उन्होने नीतीश सरकार को लंगड़ी सरकार बताते हुये कहा है कि जब तक राजद का अपना मुख्यमंत्री नहीं होगा, तब तक जनता का भला नहीं होगा। लोगों में अब आम धारणा यही बन रही है कि नीतीश कुमार किसी के नहीं है। वह सत्ता के भूखे हैं और उन्हें सिर्फ अपनी कुर्सी प्यारी है। कुर्सी के मोह में वह एक बार फिर पलटी मारने के फिराक मे थे। लेकिन उनका पोल खुल गया और बात रुक गयी। भाजपा ने तो साफ कह दिया है कि वह अब किसी भी परिस्थिति में नीतीश कुमार के साथ गठबंधन नहीं करेगी। दरअसल नीतीश कुमार अब पूरी तरह एक्सपोज हो चुके हैं। उन्होंने अपने करीबी सहयोगियों और संरक्षकों के साथ जो बर्ताव किया है, उसकी चर्चा आज खले आम हो रही है। राजनीतिक हलकों मे अब यही चर्चा चल रही है कि नीतीश कुमार का ऐसा कोई सगा नहीं, जिसको उन्होने ठगा नहीं। इस सिलसिले में जार्ज फर्नांडिस, शरद यादव, दिग्विजय सिंह, जीवन राम मांझी, आरसीपी सिंह और अब उपेन्द्र कुशवाहा तक का नाम लिया जा रहा है। कहा तो यहां तक आ रहा है कि वह तेजस्वी यादव को भी ठग रहे हैं। इतनी आसानी से वह तेजस्वी को सत्ता सौंपने वाले नहीं हैं।
लेखक : न्यूजवाणी बिहार के प्रधान संपादक और यूएनआई के ब्यूरो चीफ रह चुके हैं।
आप ने सही व्याख्या की है मगर हालात इतने भी बुरे नहीं है! इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि नितीश कुमार ने बिहार के विकास को गति दी है! जिसे हर कोई समझ और मान रहा है! नितीश कुमार के सुशासन बाबू की छवि बरक़रार है!