पटना : बिहार के बाहुबली पूर्व सांसद आनंद मोहन की रिहाई पर उठ रहे सवालों के बीच संभावना जतायी जा रही है कि दिवंगत आईएएस अधिकारी जी.कृष्णैया की पत्नी उमा देवी जेल मैनुअल में किए गये संशोधन को अपने स्तर से चुनौती दे सकती हैं। लेकिन कानूनी तौर पर उन्हें मदद मिलेगी या नहीं,यह कहना बहुत ही मुश्किल है। कानूनविदों की राय में जेल मैनुअल में संशोधन करने का अधिकार सरकार को है। यह कानूनी तौर पर गलत नहीं है। क्योंकि इसका लाभ एक को नहीं, सबको मिलेगा। दरअसल नया जेल मैनुअल 2012 से लागू है। 26 मई 2016 को जेल मैनुअल के नियम 48 (1)(क) में अपवाद जुड़ा जिसमे ‘काम पर तैनात लोक सेवक की हत्या जैसे जघन्य मामलों में हत्या हेतु आजीवन कारावास में हों, रिहा नहीं होंगे। यही जोड़ा गया अपवाद आनंद मोहन की रिहाई में बाधक था। सरकार ने 10 अप्रैल 2023 को उक्त नियम में संशोधन कर ‘काम पर तैनात लोक सेवक की हत्या’ अंश को हटा दिया। इसी से आनंद मोहन की रिहाई का रास्ता साफ हो गया था। इसे संयोग ही कहेंगे कि नियमावली में दोनों संशोधन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली महागठबंधन सरकार के शासन काल में ही हुए।