महेश कुमार सिन्हा
पटना। बिहार के कुढ़नी विधानसभा सीट के लिये पांच दिसंबर को होने वाला उप चुनाव मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की प्रतिष्ठा से जुड़ गया है। कुढ़नी राजद की सीटिंग सीट थी। 2020 में हुए पिछले विधानसभा चुनाव में यहां से राजद के अनिल सहनी जीते थे। उन्होने भाजपा के केदार प्रसाद गुप्ता को हराया था। उस चुनाव में नीतीश कुमार भाजपा के साथ थे और बतोर मुखिया एनडीए की सरकार चला रहे थे। लेकिन राज्य में सत्ता समीकरण बदलने और जदयू के राजद के साथ महागठबंधन में आने से परिस्थितियां बदली हुई हैं। राजद विधायक अनिल सहनी को एक मामले में सजा होने के कारण हो रहे इस उप चुनाव के बहाने नीतीश अपनी राजनीतिक ताकत आजमाना या दिखाना चाहते हैं। यही वजह है कि उन्होने राजद नेतृत्व से कुढ़नी सीट जदयू के लिए छोड़ने का आग्रह किया। राजद ने भी अपनी सीटिंग सीट होने के बावजूद गठबंधन धर्म निभाते हुये उनका सीट छोड़ने का प्रस्ताप स्वीकार कर लिया। कुढ़नी उप चुनाव की तस्वीर अब कमोबेश साफ हो गयी है। यहां मुख्य मुकाबला दो पुराने प्रतिद्वंदियों भाजपा के केदार प्रसाद गुप्ता और जदयू के मनोज कुशवाहा के बीच है। ये दोनों 2015 के विधानसभा चुनाव में भी आपस में भिड़ चुके हैं। उस चुनाव में केदार प्रसाद गुप्ता ने मनोज कुशवाहा को 11,570 वोटों से हराया था। खास बात यह है कि उस चुनाव में भी राजद और जदयू साथ थे। इस उप चुनाव में भी दोनों दल साथ हैं। पर इस उपचुनाव में परिस्थितियां कुछ बदली हुई है। 2015 के विधानसभा चुनाव में गुप्ता और कुशवाहा के बीच सीधा मुकाबला था। लेकिन इस बार असदुद्दीन ओवैसी और मुकेश सहनी ने भी अपनी पार्टी का उम्मीदवार उतार दिया है। एआइएमआइएम के प्रत्याशी गुलाम मुर्तजा अंसारी जिला पार्षद रहे हैं। क्षेत्र में उनका प्रभाव भी है। पार्टी के सामाजिक समीकरण को देखते हुये उनको मिलने वाले वोटों का खामियाजा महागठबंधन के उम्मीदवार मनोज कुशवाहा को ही भुगतना पड़ेगा। ओवैसी फैक्टर हाल ही में हये गोपालगंज उपचुनाव में जलवा दिखा चुकाहै। वहां महागठबंधन का उम्मीदवार (राजद) 1700 वोटों से हारा था। जबकि एआइएमआइएम के उम्मीदवार को 12,000 से अधिक वोट मिले थे। विकासशील इंसान पार्टी (वीआइपी) प्रमुख मकेश सहनी ने हां ना करते आखिरकार कुढ़नी उपचुनाव में नीलाभ कुमार को मैदान में उतार दिया है। उनकी छवि अच्छी बतायी जाती है। वह भाजपा के सवर्ण वोट बैंक मे से अपने समाज का कुछ वोट बटोर सकते हैं। सही मायने में एआइएमआइएम और वीआइपी की झपटमारी ही इस उपचुनाव का नतीजा तय करेगा। क्योंकि यहां जीत-हार का अंतर बहुत कम रहा है। पिछले चुनाव मे भाजपा के केदार प्रसाद गुप्ता राजद के अनिल सहनी से सिर्फ 712 वोट से हारे थे। कुल मिला कर कुढ़नी उपचुनाव काफी दिलचस्प हो गया है। भाजपा और महागठबंधन के नेता अपने अपने पक्ष में वोटरों को रिझाने में लगे हुये हैं। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव दो दिसंबर को वहां चुनावी सभा को संबोधित करेंगे। यह उपचुनाव इस मायने में भी महत्वपूर्ण है कि इसके नतीजे राज्य में आगामी चुनावों को प्रभावित कर सकता है इसके नतीजे जाति की राजनीति करने वाले कुछ नेताओं की भी पोल खोलेंगे।
लेखक : न्यूजवाणी के बिहार के प्रधान संपादक हैं और यूएनआई के ब्यूरो चीफ रह चुके हैं