पटना : बिहार भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बनाये गये सम्राट चौधरी कभी राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव के लाडले हुआ करते थे। वह 1990 में सक्रिय राजनीति में आये। 19 मई 1999 को बिहार सरकार में कृषि मंत्री के पद की शपथ ली। 2000 और 2010 में परबत्ता विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़े और निर्वाचित हुए। साल 2010 में विधानसभा में विपक्षी दल के मुख्य सचेतक बनाए गए थे। 2 जून 2014 को उन्होंने शहरी विकास और आवास विभाग के मंत्री पद की शपथ ली। लेकिन वर्ष 2014 में वह राजद छोड़कर जदयू में शामिल हुए थे। तब वह नीतीश कुमार के बेहद खास माने जा रहे थे। पार्टी में शामिल होते ही सम्राट चौधरी को पहले विधान पार्षद बनाया गया और फिर मंत्री बने। लेकिन यह सिलसिला ज्यादा दिन नहीं चला। 2014 लोकसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद, नीतीश कुमार ने मुख्यमंत्री की कुर्सी छोड़ दी और जीतन राम मांझी को बिहार का नया मुख्यमंत्री बना दिया। 2015 तक जीतनराम मांझी और नीतीश कुमार के बीच जबर्दस्त दूरियां दिखने लगी और फिर जदयू दो खेमों में बंट गई। उसवक्त सम्राट चौधरी जीतनराम मांझी मंत्रिमंडल में मंत्री थे और उन्होंने मांझी का साथ देना शुरू कर दिया। सम्राट चौधरी का नीतीश कुमार के खिलाफ बगावत करने का सिलसिला यहीं से शुरू हो गया। कई सालों तक मांझी खेमे का हिस्सा रहने के बाद सम्राट चौधरी ने 2018 में भाजपा का दामन थाम लिया। तब भाजपा विपक्ष में थी और बिहार में जदयू-राजद की सरकार थी। सम्राट चौधरी की भाजपा में एंट्री होने की 2 वजहें थीं। एक कुशवाहा वोट और दूसरा उनका नीतीश विरोधी होना। भाजपा ने पहले उन्हें प्रदेश उपाध्यक्ष बनाया और फिर 2021 में विधान पार्षद और मंत्री। सम्राट चौधरी का 2021 में भाजपा कोटे से नीतीश कैबिनेट में शामिल होना भी नीतीश कुमार के लिए बड़ा धक्का माना गया। इससे पहले की भाजपा-जदयू सरकारों में वही चेहरे कैबिनेट में शामिल हुए हैं, जो नीतीश कुमार की पसंद के रहे थे। चाहे वह नेता जदयू का हो या भाजपा का। 2021 के नतीजों ने जदयू को सीटों के मामले में बेहद कमजोर कर दिया है। लिहाजा, नीतीश कुमार उस तरह से मंत्रियों को चुनने में अपना प्रभाव नहीं दिखा पाए और यही वजह रही कि सम्राट चौधरी बिहार सरकार में पंचायती राज मंत्री बन गए। सम्राट, भाजपा में उन गिने-चुने नेताओं में से एक हैं, जो दूसरी पार्टी से आने के बावजूद इतनी जल्दी मंत्री पद तक पहुंच गए। पार्टी में उनकी तरक्की की बड़ी वजह उनका नीतीश विरोधी होना ही है। सम्राट चौधरी भाजपा की तरफ से जदयू और नीतीश कुमार पर बयानी हमले करते रहते हैं।वे अपने बयानों से नीतीश कुमार की उस राष्ट्रीय नेता की छवि को तोड़ते हैं, जिसे बनाने की कवायद नीतीश कुमार और उनकी पार्टी करती रहती है।