Friday, December 8, 2023

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जाति और धर्म के नाम पर देश तोड़ने की कोशिश कर रहे राजद नेता : सम्राट चौधरी

पटना : बिहार में सत्ताधारी महागठबंधन के सबसे बड़े दल राजद के नेताओं मे विवादास्पद बयान देने की होड़ सी लगी हुई है। राजद के विधायक और मंत्री पिछले कुछ दिनों से जिस तरह  बयानबाजी कर रहे हैं, उससे राज्य का राजनीतिक तापमान लगातार बढ़ता ही जा रहा है। सरकार में रहते हुए राजद के नेता जाति और धर्म को लेकर खूब बयानबाजी कर रहे हैं। रामचरितमानस पर शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर के विवादित बयान देने के बाद अब राजद कोटे से ही राजस्व एवं भूमि सुधार मंत्री आलोक मेहता ने भी खास जाति के लोगों को अपना निशाना बनाया है। उन्होंने कहा है कि सवर्ण जाति के लोग अंग्रेजों की दलाली करते थे। मंत्री के इस बयान पर एक ओर जहां उसकी सहयोगी जदयू ने तेवर कड़े कर लिए हैं, वहीं अब भाजपा ने भी जोरदार हमला बोला है। विधान परिषद में नेता विरोधी दल सम्राट चौधरी ने रविवार को कहा कि राजद के नेता जाति और धर्म के नाम पर समाज और देश को तोड़ने की कोशिश कर रहे हैं। ऐसा बयान देने वाले राजद नेताओं को पता होना चाहिए कि बिहार की सियासत में उनके नेता लालू प्रसाद यादव की उत्पत्ति एक पंडित की कृपा से ही हुई है। उन्होंने कहा कि राजद नेताओं द्वारा जिस तरह का बयान आजकल दिया जा रहा है, इससे यह स्पष्ट हो गया है कि ये लोग जाति और धर्म के नाम पर समाज और देश को तोड़ने की कोशिश कर रहे हैं। सम्राट चौधरी ने कहा कि राजद का एक मंत्री देश के सैनिकों के साथ खिलवाड़ करने का प्रयास कर रहा है तो दूसरा रामचरितमानस के साथ खिलवाड़ करना चाह रहा है और तीसरा मंत्री सवर्ण जाति के लोगों को अंग्रेजों का दलाल बता रहा है। ऐसा बयान देने वाले राजद के मंत्रियों को यह पता होना चाहिए था कि राजद नेता लालू प्रसाद यादव की उत्पत्ति तब हुई, जब पंडित रघुनाथ झा की उनपर कृपा हुई थी। यही नहीं यदि पंडित चाणक्य नहीं होते तो सम्राट अशोक और चंद्रगुप्त की उत्पत्ति भी नहीं हो सकती थी। बात चाहे देश की हो या बिहार की सभी का सहयोग लेकर ही कोई आगे बढ़ सकता है। उल्लेखनीय है कि भूमि सुधार एवं राजस्व मंत्री आलोक मेहता ने शनिवार को भागलपुर के गोराडीह प्रखंड अंतर्गत सालपुर पंचायत के काशील हटिया मैदान में एक जनसभा को संबोधित करते हुए सवर्णों के खिलाफ जहर उगला था। मंत्री आलोक मेहता ने कहा था कि जिन्हें आज 10 फीसदी में गिना जाता है वह पहले मंदिर में घंटी बजाते थे और अंग्रेजों के दलाल थे। इतना ही नहीं मंत्री ने सवर्ण जाति के खिलाफ जहर उगलते हुए यह भी कहा कि जो 10 फीसदी लोग हैं, उनके सामने जो आवाज उठाता था, उनकी जुबान बंद कर दी जाती थी। उन्हें ईडब्ल्यूएस कहा जाता है। यह दलित, शोषित और वंचित वर्ग के लोगों के लिए उचित नहीं है।

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