पटना : बिहार प्रदेश भाजपा उपाध्यक्ष और मीडिया विभाग के प्रभारी राजीव रंजन भाजपा को झटका देते हुआ फिर से जदयू का दामन थाम सकते हैं। चर्चा है कि राजीव रंजन के पार्टी विरोधी रूख से दल के अंदर भारी आक्रोश है। हालांकि, नेतृत्व की तरफ से अभी इस मुद्दे पर कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है। दरअसल, राजीव रंजन ने जहरीली शराब कांड में मृतक के आश्रितों को मुआवजे की मांग को गलत ठहरा दिया है। यही बात सत्ताधारी जदयू भी कह रही है। उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने साफ कहा है कि जहरीली शराब से मृतक के आश्रितों को मुआवजा किसी कीमत पर नहीं देंगे। लेकिन भाजपा इस मुद्दे पर नीतीश कुमार का विरोध कर रही है। इस मुद्दे पर राजीव रंजन ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का समर्थन करते हुए जहरीली शराब से मरने वाले लोगों को मुआवजा देने की मांग को गलत बताया। उन्होंने कहा कि इसमें कोई शक नहीं है कि जहरीली शराब से लोगों की हुई मौत दुर्भाग्यपूर्ण है और इसके दोषी लोगों को कड़ी से कड़ी सजा मिलनी चाहिए। लेकिन इसमें भी कोई दो राय नहीं होनी चाहिए कि शराबबंदी कानून के मुताबिक शराब बेचने के साथ-साथ शराब पीना भी अपराध की श्रेणी में आता है। ऐसे में सवाल उठता है कि जान-बूझ कर कानून तोड़ने पर किसी को मुआवजा कैसे दिया जा सकता है? उन्होंने बकायदा प्रेस विज्ञप्ति जारी कर जदयू की भाषा बोली है। अपने ही नेता के इस बयान से भाजपा नेतृत्व बैकफुट पर है। ऐसे में कहा जा रहा है कि लगता है कि राजीव रंजन फिर से पुराने घऱ में लौटने वाले हैं। वैसे भी हाल ही में राजीव रंजन नालंदा में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मिल चुके हैं। कहा तो यह भी जा रहा है कि राजीव रंजन जदयू नेता की गाड़ी में ही बैठकर वापस पटना लौटे थे। इन बातों की जानकारी भाजपा नेतृत्व को भी है। अब मुआवजे को लेकर भाजपा मीडिया इंचार्ज के इस बयान से दल के नेताओं को विश्वास हो गया है कि राजीव रंजन पार्टी से बाहर जाने का रास्ता तलाश रहे हैं। भाजपा नेताओं ने अपरोक्ष तौर पर कहा कि ये काफी समय से विरोधी दल के नेताओं से संपर्क में हैं।