पटना : राज्य के पूर्व कृषि मंत्री व राजद विधायक सुधाकर सिंह ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर महागठबंधन धर्म का पालन नहीं करने का आरोप लगाया है। उन्होंने शुक्रवार को नीतीश कुमार पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि एक दिन पहले ही मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने चौथे कृषि रोड मैप से सम्बंधित बैठक बुलाई थी। जिसमें सरकार के संसदीय कार्य मंत्री, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव, मुख्य सचिव, कृषि विभाग के प्रधान सचिव और मुख्यमंत्री के परामर्शी शामिल हुए। वर्तमान सरकार में राजद कोटे से कृषि मंत्री बनाया गया है, इसके बावजूद कृषि विभाग के ही बैठक में राजद के कृषि मंत्री को इस बैठक में नहीं बुलाया गया। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री द्वारा राज्य के कृषि मंत्री को दरकिनार करके विभागीय बैठक बुलाना निंदनीय है और यह दर्शाता है कि इस सरकार में घटक दलों को हाशिये पर रखकर विभागीय निर्णय लिए जा रहे है। बावजूद इसके कि कृषि विभाग के मंत्री राजद के हैं। मुख्यमंत्री की इस तरह की कार्यशैली से स्पष्ट है की सरकार में महागठबंधन धर्म का पालन नहीं किया जा रहा, जिसके बारे में मैं नई सरकार बनने के बाद से लगातार ध्यानाकर्षित करवा रहा हूं। सुधाकर सिंह ने कहा कि इस तरह की अलोकतांत्रिक कार्य प्रणाली से बिहार और देश के तमाम यूपीए के समर्थित घटक दलों एवं कृषि संगठनों को सचेत हो जाना चाहिए की नीतीश कुमार की अगुआई में किस तरह की सरकार चलेगी? उन्होंने कहा कि तीन रोडमैप की विफलता के बाद चौथे रोडमैप के प्रस्तुति में भी किसानों के उपज के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य, कृषि मंडी एवं बाजार व्यवस्था के बारे में कोई चर्चा नहीं की गई है। इससे यही प्रतीत हो रहा है की चौथा कृषि रोडमैप और उससे सम्बंधित कार्य योजना मात्र खाना पूर्ति के लिए बनाई जा रही है ताकि विभागीय अधिकारीयों एवं मुख्यमंत्री के करीबी लोगों के लिए अगले पांच साल के लिए धन उपार्जन का इंतजाम हो जाये। यहां उल्लेखनीय है कि सुधाकर सिंह पहले भी नीतीश कुमार और उनकी सरकार पर गंभीर आरोप लगाते रहे हैं। अगस्त 2022 में जब महागठबंधन सरकार बनी तो सुधाकर सिंह को कृषि मंत्री बनाया गया। लेकिन उन्होंने कृषि मंत्री बनने के बाद लगातार कई ऐसे बयान दिए, जिससे नीतीश सरकार असहज हुई। उन्होंने कृषि विभाग को चोरों का अड्डा और खुद को चोरों का सरदार कहते हुए कहा कि मेरे ऊपर भी कई लोग हैं। उनकी विवादित टिप्पणियों के बाद नीतीश सरकार में राजद और जदयू में तकरार बढ़ा था। बाद में उन्हें कृषि मंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा था।