पटना : विपक्षी एकता की मुहिम को लेकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ दिल्ली का दौरा करने वाले उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव का दिल्ली में कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और राहुल गांधी से नही मिलने पर कयासों का बाजार गर्म हो गया है। हालांकि, तेजस्वी की अनुपस्थिति को अचानक तबीयत खराब हो जाना बताया गया है। लेकिन क्या सिर्फ यही एक कारण है या कुछ और भी बात है, इसको लेकर चर्चाओं का बाजार गर्माता जा रहा है। जबकि इसके एक दिन पहले वह दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से मिलने गए हुए थे। तेजस्वी कांग्रेस के साथ हुई बैठक में क्यों नहीं गए? यह सवाल उठने लगा है। भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता प्रेम रंजन पटेल ने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार कांग्रेस नेता राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खड़गे से मिले। तेजस्वी यादव, केजरीवाल से मिलने के लिए साथ गए, लेकिन राहुल गांधी से मिलने में बहाना बनाकर अलग हो गए। कहीं न कहीं मिलने में परेशानी थी। लग रहा था कि जिस तरह से बिहार में तेजस्वी यादव ने कांग्रेस को परेशान किया है, औकात बताने का काम किया है। चाहे वह लोकसभा चुनाव हो या विधान सभा चुनाव हो या दूसरे मुद्दे। ऐसे में राहुल गांधी से आंख मिलाने में तेजस्वी यादव को परेशानी हो रही थी। इसलिए तेजस्वी यादव ने मिलने से इनकार कर गए। उन्होंने कहा कि लालू यादव ने तो कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी को भकचोन्हर तक कह दिया था। महागठबंधन में कांग्रेस को 70 सीटें विधान सभा चुनाव में दी गई थीं तब उन्होंने कहा कि कांग्रेस का परफॉर्मेंस ठीक नहीं। यह दिखा था कि कमजोर सीट जबर्दस्ती कांग्रेस की झोली में डाला गया था। ऐसे में तेजस्वी यादव का कांग्रेस के साथ जाने में हिचकिचाहट या राहुल से मिलने में हिचकिचाहट जाहिर करता है कि कांग्रेस का नेतृत्व कई दल स्वीकार करने को तैयार नहीं हैं। इस मीटिंग से यही अंदाजा लगाया जा सकता है। जानकारों की अगर मानें तो तेजस्वी यादव के साथ कांग्रेस के संबंध बेहतर नहीं हैं। विधानसभा चुनाव के बाद तेजस्वी यादव की नाराजगी कांग्रेस से इस बात को लेकर रही कि कांग्रेस ने दबाव बनाकर 70 सीटें ले लीं और जीत पाई महज 19 सीट। इस वजह से तेजस्वी यादव की सरकार नहीं बन पाई। हालांकि, खराब परफॉर्मेंस पर कांग्रेस के नेताओं का कहना रहा कि कमजोर सीटें पार्टी को दी गईं थीं। तेजस्वी का गुस्सा विधानसभा चुनाव के बाद हुए उपचुनावों में भी दिखा। बिहार में तारापुर, कुशेश्वर स्थान, बोचहां, गोपालगंज, कुढ़नी और मोकामा में उपचुनाव हुए। मोकामा, कुढ़नी और गोपालगंज के उपचुनाव नई सरकार बनने के बाद हुए। इसलिए कांग्रेस-राजद साथ थी, बाकी उपचुनावों में राजद ने कांग्रेस से बिना पूछे उम्मीदवार उतार दिए। महागठबंधन धर्म हवा में रहा। तब इस बात की चर्चा खूब थी कि लोकसभा चुनाव में कांग्रेस का रुख क्या रहेगा?