पटना : जदयू नेता और इस्लामपुर के पूर्व विधायक राजीव रंजन ने केंद्र सरकार पर जानबूझ कर मंहगाई बढ़ाने का आरोप लगाते हुए कहा है कि कच्चा तेल महंगा होने पर जो केंद्र सरकार पेट्रोल-डीजल के दाम तुरंत बढ़ा देती है, वही कच्चा तेल के सस्ते होने पर आज पूरी तरह आंखे मूंदे बैठी हुई है। हालात यह है कि पिछले 7 महीने में कच्चा तेल 32% सस्ता हो गया है, लेकिन पेट्रोल-डीजल के दाम जस के तस हैं. इससे जहां केंद्र सरकार और पेट्रोलियम कंपनियां रिकॉर्ड मुनाफा कमा रही है, वहीं आम जनता की जेब लगातार खाली हो रही है। आंकड़े देते हुए उन्होंने कहा कि जून 2022 में कच्चा तेल 9,003 रुपए/बैरल यानी करीब 57 रुपए प्रति लीटर था, जो जनवरी 23 में 6,222 रुपए/बैरल यानी 39 रुपए/लीटर पर आ गया। इससे पेट्रोल तकरीबन 18 रु तक सस्ता हो सकता है। लेकिन पूंजीपतियों की झोली भरने में व्यस्त केंद्र सरकार अभी भी कीमतें घटाने को तैयार नहीं है. भाजपा को बताना चाहिए कि जो तेजी दाम बढ़ाने में दिखायी जाती है, वही तेजी दाम घटाने में क्यों नहीं दिखायी जा रही है? केंद्र पर तंज कसते हुए जदयू नेता ने कहा कि भाजपा को बताना चाहिए कि उनके इस रवैए से आखिर किसान, मजदूर या आम जनता का भला कैसे हो रहा है? महंगाई के मुद्दे पर केंद्र को संवेदनहीन बताते हुए उन्होंने कहा कि पेट्रोल-डीजल की कीमतों का महंगाई से सीधा रिश्ता होता है। पेट्रो पदार्थों की बढ़ी कीमतों के कारण ही आज देश में महंगाई चरम सीमा को छू रही है। रोजमर्रा के समानों की कीमतें आसमान पर पहुंच गयी है। हालात यह है कि उज्ज्वला योजना के कई लाभार्थियों ने रसोई गैस का सिलेंडर लेना बंद कर दिया है। लेकिन फिर भी केंद्र सरकार पेट्रोलियम पदार्थों की कीमतें घटाने को राजी नहीं है। यह दिखाता है कि सरकार को आम जनता और गरीबों की नहीं बल्कि पेट्रोलियम का व्यवसाय करने वाले अरबपतियों की अधिक चिंता है। पेट्रोलियम पदार्थों की कीमतें कम करने की मांग करते हुए पूर्व विधायक ने कहा कि भाजपा को बताना चाहिए कि जब पेट्रोलियम पदार्थों की कीमतें मार्केट के हिसाब से रोजाना तय होने की बात थी, तब तेल के भाव गिरने पर दरें रोजाना कम क्यों नहीं हो रही हैं? उन्हें जनता को बताना चाहिए कि आखिर इनके दाम तय करने का पैमाना क्या है? भाजपा यह जान ले कि यदि दाम गिरने का लाभ आम जनता को नहीं मिलेगा तो उन्हें निश्चय ही लोगों के आक्रोश का सामना करना पड़ेगा।