पटना : जदयू में बगावती तेवर अपनाये पार्टी संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने दो साल पहले नीतीश कुमार से बंद कमरे में हुई बातचीत को सार्वजनिक कर दिया है। उन्होंने गुरुवार को कहा कि मैं अपनी पार्टी राष्ट्रीय लोक समता पार्टी चला रहा था। मुझे नीतीश कुमार ने बुलवा कर बंद कमरे में बात की। नीतीश कुमार ने मुझसे कहा था कि आप साथ आइये, मेरा उम्र हो रहा है, ऐसे में मेरे बाद पार्टी को आपको ही संभालना है। दूसरा कोई नहीं है। कुशवाहा ने एक और बड़ा संकेत दिया कि जदयू से इस्तीफा देने वाले आरसीपी सिंह के साथ उनका सियासी गठजोड़ हो सकता है। उन्होंने खुलासा किया कि जदयू में कौन उसके खिलाफ चाल चल रहा है। उपेंद्र कुशवाहा ने दावा किया कि जो लोग उनके खिलाफ बयान दे रहे हैं वो सिर्फ मोहरे हैं, असल डोर तो कोई और ही खींच रहा है। सबको पता है कि उनके पीछे कौन लोग हैं। जो लोग मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से 24 घंटा घिरे हैं, उन्हें मालूम था कि उपेंद्र कुशवाहा पर हम सीधा हमला करके कुशवाहा को या पार्टी को कमजोर नहीं कर पाएंगे। जो लोग इस्तेमाल हो रहे थे, उन्हें लग रहा था कि वो लोग मुख्यमंत्री के करीब हो जाएंगे। उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि अब मुख्यमंत्री पर निर्भर करता है। हमने अलग-अलग समय पर जो भी बात कही अगर उसमें से एक का भी जवाब मिल जाता तो लगता कि सही दिशा में पार्टी चल रही है। जदयू में उनके खिलाफ षडयंत्र रचने वाले के नाम का खुलास करने से उपेंद्र कुशवाहा ने परहेज किया। उपेंद्र कुशवाहा के मुताबिक ‘इसमें मेरे खुलासा करने लायक बात ही कहां है? कुशवाहा ने कहा कि जदयू में शामिल होने के बाद मेरे खिलाफ साजिश रची गई। आज ही जदयू के विधान पार्षद रामेश्वर महतो ने कहा कि पार्टी के कुछ नेताओं ने कई दफे उपेंद्र कुशवाहा के खिलाफ बैठक की। इसमें जदयू के प्रदेश अध्यक्ष, एक मंत्री और एक सांसद शामिल हैं। उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि ये सब मोहरे थे, असल खेल तो वो खेल रहे हैं, जो मुख्यमंत्री के सबसे खास सलाहकारों में शामिल हैं। वे प्लानिंग रचते रहे। उन्होंने कहा कि मुझे दुख इस बात है कि नीतीश कुमार बेबस हो गये हैं, वे वही कर रहे हैं जो उनके साथ रहने वाले कह रहे हैं। नीतीश कुमार अपनी मर्जी से कोई फैसला नहीं ले पा रहे हैं। नीतीश कुमार और उनके सलाहकार मीडिया में इधर उधर की बातें बोल रहे हैं, लेकिन मेरी किसी बात का जवाब नीतीश नहीं दे रहे हैं। कुशवाहा ने कहा कि जदयू में शामिल होने के बाद उन्होंने आरसीपी सिंह के खिलाफ बयान दिये थे, लेकिन बाद में अंदाजा हुआ कि आरसीपी सिंह को जानबूझ कर शिकार बनाया गया। आरसीपी सिंह के खिलाफ उन्हीं लोगों ने प्लानिंग की थी, जिन्होंने बाद में मेरे खिलाफ साजिश रची।