पटना : बिहार में दावत-ए-इफ्तार पर गर्मायी सियासत के बीच मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सात अप्रैल को इफ्तार की दावत दी है। दरअसल, पिछले सोमवार को एक इफ्तार पार्टी में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की मौजूदगी के बाद से सूबे में सियासी घमासान छिड़ा है। विपक्ष ने उन्हें एक विशेष समुदाय का मुख्यमंत्री बता दिया है। बताया जाता है कि पटना के एक अणे मार्ग में स्थित मुख्यमंत्री आवास पर आयोजित इफ्तार दावत में भाजपा सहित विभिन्न पार्टियों के नेता और कार्यकर्ता को न्योता भेजा गया है। पिछले साल नीतीश कुमार के आवास परृ दो साल बाद इफ्तार पार्टी का आयोजन किया गया था, जिसमें भाजपा, राजद समेत कई पार्टियों के नेताओं ने शिरकत की थी। हालांकि, इसके तीन महीने बाद ही नीतीश कुमार भाजपा का साथ छोड़ राजद में शामिल हो गए थे। इस दौरान एक साल में काफी कुछ बदल गया है। पिछले रमजान में नीतीश कुमार एनडीए के साथ थे। साल 2022 की इफ्तार पार्टी में राज्यसभा सांसद सुशील मोदी, तत्कालीन भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल, लोजपा (आर) सुप्रीमो चिराग पासवान सहित ऐसे कई चेहरे शामिल हुए थे, जो अभी नीतीश कुमार की सबसे अधिक आलोचना कर रहे हैं। पिछले दिनों जब नीतीश कुमार इस्लामिया ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस की ओर से आयोजित इफ्तार पार्टी में पहुंचे, तो भाजपा की तरफ से तीखी प्रतिक्रिया आने लगी। केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने तो यहां तक कह दिया कि नीतीश कुमार चाहे तो मस्जिद में ही अपना ऑफिस खोल दें, कौन मना करेगा। गिरिराज सिंह ने कहा कि बिहार बंगाल की राह पर चल पड़ा है। यहां अब हिंदू सुरक्षित नहीं है। वहीं, मध्य प्रदेश में भाजपा सरकार में मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कहा कि नीतीश कुमार को इफ्तार की नौटंकी बंद कर देनी चाहिए। उन्होंने पूरे बिहार में दंगे फैलाए। गले लगाकर छुरा घोंपने का स्वांग किया। भाईचारा क्या होता है, यह देखना है तो मध्यप्रदेश आइए और देखिए, रामनवमी की यात्रा पर फूल बरसते हैं, आपके यहां की तरह पत्थर नहीं बरसते हैं। रामनवमी के दौरान बिहार के कई जिलों में भड़की हिंसा को लेकर नीतीश कुमार पर अल्पसंख्यक समुदाय के प्रति नरम रुख अपनाने के आरोप लग रहे हैं। ऐसे में सात अप्रैल को नीतीश कुमार की इफ्तार पार्टी पर सबकी नजर है।