मैंने झारखंड बनने के पहले के बिहार को देखा है। झारखंड को आकार लेते और राज्य के पहले मुख्यमंत्री का पद संभालने से पहले बाबूलाल मरांडी को देवघर बाबा मंदिर में पूजा करते देखा है। मैंने उनके कार्यकाल को देखा है और उस 28 महीने के कार्यकाल की उपलब्धियों और विफलताओं को भी देखा है। और अब मैं मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के कार्यकाल को देख रहा हूं।इस लंबे अंतराल के अनुभवों और झारखंड की राजनीति की अपनी सतही समझ से मैं कह सकता हूं कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन झारखंड के अब तक के बेस्ट सीएम हैं। मैं उन्हें झारखंड का अब तक बेहतरीन मुख्यमंत्री मानता हूं तो इसके पीछे ठोस वजहें हैं।
पहली वजह
झारखंडी अस्मिता से कभी समझौता नहीं किया
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन चाहे झारखंड के मुख्यमंत्री रहे हों या फिर विपक्ष में रहे हों। उन्होंने झारखंडी अस्मिता से कभी समझौता नहीं किया। मैंने उन्हें बदले की भावना से कार्रवाई करते भी नहीं देखा, हालांकि वे चाहते तो कर सकते थे। उनके पास यह ताकत थी। मुख्यमंत्री पद संभालने के बाद उन्होंने जिस तरह मजदूरों को झारखंड वापस लाने के लिए फ्लाइट की व्यवस्था की वह हेमंत सोरेन के अलावा कोई दूसरा मुख्यमंत्री नहीं कर सकता था। उनपर अल्पसंख्यकों की राजनीति और तुष्टीकरण की राजनीति के आरोप लगे, लेकिन आरोप लगानेवाले यह भूल गये कि अल्पसंख्यक भी इस देश का हिस्सा हैं। और उनकी आवाज बुलंद करना एक तरह से देश की आवाज बुलंद करना ही है। हेमंत सोरेन के ट्वीटर हैंडल में साफ लिखा है कि वे भगवान बिरसा मुंडा के पद चिन्हों पर चलने वाले नेता हैं। बिरसा मुंडा ने अंग्रेजी राज के खिलाफ लड़ाई लड़ी और अपनी शहादत दी। मुझे यह कहने में कोई हिचक नहीं कि हेमंत सोरेन बिरसा मुंडा के पदचिन्हों पर चल रहे हैं। उनके कार्यकाल में झारखंड में आदि महोत्सव हुआ। आदिवासियत और आदिवासियों के हितों की रखवाली करने में वे पूरी शिद्दत से लगे हुए हैं।
दूसरी वजह
हक की आवाज उठाते रहे
यह सब जानते हैं कि झारखंड में देश का नंबर वन राज्य बनने की न सिर्फ क्षमता है बल्कि यह उच्च कोटि का मानव संसाधन भी उपलब्ध है। यहां एक्सएलआरआई, आइआइएम, निफ्ट और आइएसएम धनबाद जैसे कई संस्थान हैं जिनकी देश ही नहीं दुनिया में अलग पहचान है। पर झारखंड ने देश को जितना दिया उसकी तुलना में उतनी ही इसकी उपेक्षा हुई। झारखंड के हजारों करोड़ केंद्र और केंद्रीय प्रतिष्ठानों पर बाकी हैं। केंद्र यह राशि नहीं दे रहा है। यह गलत नहीं तो और क्या है। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन लगातार केंद्र से यह राशि देने की मांग करते रहे हैं। क्या झारखंड के हक की मांग यहां के सीएम को नहीं करनी चाहिए। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन यह अच्छी तरह जानते हैं कि यह मांग करना उनके लिए जोखिम भरा हो सकता है लेकिन तब भी उन्होंने यह जोखिम लिया और पूरी ताकत से झारखंड की आवाज बुलंद की। इससे साफ है कि झारखंड की जनता ने उन्हें सीएम चुनकर कोई गलती नहीं की है।
तीसरी वजह
जनभावनाओं के अनुरुप काम कर रहे हैं
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पद संभालने के बाद से ही जनभावनाओं के अनुरूप काम कर रहे हैं।सरकारी कर्मचारियों को पुरानी पेंशन योजना का लाभ दिलाकर उन्होंने ऐतिहासिक काम किया। झारखंड विधानसभा के सत्रों में भी जिस बेबाकी से वे अपनी बात रखते रहे वह भी काबिले तारीफ है।
चौथी वजह
व्यवहार और विचार में साफगोई
लेखक दयानंद राय।
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के व्यवहार और विचार में साफगोई है। वे जो कुछ कहते या करते हैं डंके की चोट पर करते हैं। शुक्रवार को उन्होंने इडी को जिस प्रकार चुनौती दी, वह उनके इस अंदाज को ही दर्शाता है। उन्होंने सच कहा कि आदिवासी और दलित को सत्ता के शीर्ष पर बैठा देखना कुछ लोगों को सुहा नहीं रहा है। उनके इस व्यवहार की बानगी मैंने धुर्वा के प्रभात तारा मैदान में भी देखी है जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सभा में उनकी हूटिंग हुई तब भी उन्होंने बुलंदी से अपनी बात रखी। मैं जो कुछ कह रहा हूं, उससे असहमत रहनेवाले लोग भी होंगे। उनकी टिप्पणियों का स्वागत है। वे अपना पक्ष रखें, मैं यथा संभव उनका जवाब देने की कोशिश करूंगा।