महेश कुमार सिन्हा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से पसमांदा मुसलमानों पर भाजपा को ध्यान देने की टिप्पणी के बाद पार्टी अब इस दिशा में लगातार प्रयासरत है। अभी पिछले दिनों उत्तर प्रदेश में बड़े पैमाने पर पार्टी की ओर से कार्यक्रम किया गया था। इसके बाद अब 26 नवंबर को संविधान दिवस के मौके पर भाजपा बिहार की राजधानी पटना में कार्यक्रम आयोजित करने जा रही है। इसके तहत भाजपा ईबीसी, दलितों, आदिवासियों और पसमांदा मुसलमानों के प्रतिभागियों को एक साथ लाने के प्रयास में जुटी है। बिहार में जदयू से अलग होने के भाजपा की नजर पसमंदा मुसलमानों पर है, जिनकी आबादी मुसलमानों में अस्सी प्रतिशत के आसपास है। ऐसे में भाजपा की नजर अब इस समाज पर टिक गई है। उत्तर प्रदेश में पसमांदा समाज के लोगों ने भाजपा के तरफ झुकाव के संकेत भी दिये थे। दरअसल,यह समुदाय बिहार में अभी तक महागठबंधन का वोट बैंक माना जाता है। लेकिन अब भाजपा इन्हें तोड़ने की रणनीति पर काम करने लगी है। भाजपा के वरिष्ठ नेता और विधान पार्षद संजय पासवान इस आयोजन को सफल बनाने में जुटे हुए हैं। उनके देखरेख में यह कार्यक्रम होने जा रहा है। संजय पासवान का कहना है कि पिछले कई साल से पसमांदा मुसलमानों को विकास की प्रक्रिया से महरूम रखा गया है, जबकि इनके वोट बैंक को अपने पाले में कर कभी कांग्रेस तो कभी राजद और कभी जदयू ने बिहार में सरकार बनाई। लेकिन जब इनको हक देने की बारी आती है तो राजनीतिक दल कन्नी काट लेते हैं। उन्होंने कहा कि किसी भी सरकार ने अभी तक पसमांदा मुस्लिमों के विकास के लिए कोई ठोस रणनीति नहीं बनाई, जिसकी वजह से आज भी ये तबका विकास से कोसों दूर है। संजय पासवान के अनुसार पसमांदा मुसलमानों की एक बड़ी आबादी धर्मांतरण कर मुस्लिम बनी है, ये पहले हिंदू थे। इस वजह से भी हमें उम्मीद है कि वो हमारी बातों को ठीक-तरीक़े से समझ पाएंगे। इस बीच पूर्व सांसद और ऑल इंडिया पसमांदा मुस्लिम समाज के राष्ट्रीय अध्यक्ष अली अनवर ने बयान दिया है कि इस समाज को अब तक उसका हक नहीं मिल पाया है और सिर्फ इसे वोट बैंक ही समझा गया। लेकिन अब पसमांदा वोट बैंक बनने को तैयार नहीं है। अली अनवर ने बताया कि कुछ महीना पहले उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक पत्र लिखा था और पसमांदा मुसलमानों को हक दिलाने की मांग की थी। एक अनुमान के मुताबिक बिहार में कुल मुस्लिम जनसंख्या में से करीब 80 प्रतिशत मुसलमान पसमांदा समुदाय से आते हैं।
लेखक : न्यूजवाणी के बिहार के प्रधान संपादक है और यूएनआई के ब्यूरो चीफ रह चुके है।