झारसुगुड़ा : सफलता का राज एकाग्र मन से अध्ययन है। विद्यार्थियों को एकाग्र मन से अध्ययन की आदत डालनी चाहिए। सोमवार को ये बातें ओडिशा केंद्रीय विश्वविद्यालय कोरापुट के विजिटिंग प्रोफेसर डॉ जंगबहादुर पांडेय ने कहीं। वे झारसुगुड़ा महिला कॉलेज के हिंदी विभाग के तत्वावधान में ‘सफलता के राज’ विषय पर आयोजित संगोष्ठी में बोल रहे थे। डॉ पांडेय ने कहा कि नीति कहती है कि संसार में अपना कल्याण चाहने वालों को सात जगहों पर बुलाए जाने पर भी नहीं जाना चाहिए। ये सात जगहें हैं, वेश्यालय, मदिरालय, जुआलय, हिंसालय, चिकित्सालय, न्यायालय और नरकालय। वहीं, विद्यालय, पुस्तकालय, अनाथालय, अनुसंधानालय,शिक्षकालय,देवालय और स्वर्गालय जैसी सात जगहों पर बिन बुलावे के भी जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि इस देश का सौभाग्य या दुर्भाग्य यह है कि जहां हमें बिन बुलाए जाना चाहिए वहां जाने से कतराते हैं,कोई न कोई बहाना बनाते हैं और जहां नहीं जाना चाहिए वहां बिन बुलाए चले जाते हैं। डॉ जेबी पांडेय ने कहा कि भारत युवाओं का देश है और युवाओं के पास जोश है और बुजुर्गों के पास होश है।यदि युवा अपने जोश में बुजुर्गों के होश को मिला दें, तो सफलता उनके चरण चूमेगी। अतः उन्हें निराश होने की आवश्यकता नहीं है। उन्होंने छात्राओं की जिज्ञासाओं का समाधान करते हुए कहा कि सफलता के लिए मन को नियंत्रित करना परमावश्यक है और मन को एकाग्र करने का एक अमोघ अस्र है-मन के पहले ‘न’ लगाएं शब्द बनेगा नमन। नमन से मन का अहंकार दूर होगा और मन शांत होगा। मन के पीछे ‘न’ लगाएं शब्द बनेगा मनन। एकाग्र होकर अध्ययन और चिंतन करें।नमन+मनन=ज्ञान की प्राप्ति=जीवन में मनोवांछित फल की प्राप्ति यानि सफलता अर्थात् बल्ले बल्ले।