दयानंद राय
भोपाल : देश के वरिष्ठ और सम्मानित कलाकार हरेन ठाकुर ने 22 नवंबर को विश्वरंग कला साहित्य महोत्सव के अवसर पर श्यामला हिल्स भोपाल स्थित व्हाइट हाउस में एक संक्षिप्त कला चर्चा की। इसमें हरेन ठाकुर ने शांति निकेतन के अपने संस्मरणों को साझा करते हुए कहा कि महान कलाकार अवनीन्द्रनाथ टैगोर कहा करते थे कि काली तुली मोन, आंकेन तीन जोन अर्थात् रंग, कूंची और मन तीनों जब समानांतर रूप से एक तारतम्य में आते हैं, केवल तब ही एक उत्कृष्ट कृति का अंकन हो पाता है। संसार के जिन महान कलाकारों की ओर से जितनी भी महान कलाकृतियों का सृजन संभव हो पाया, उसके पार्श्व में इन तीनों के संतुलन का ही योगदान रहा है अन्यथा उन कलाकारों की संवेगात्मक कल्पनाएं कला जगत के अंबर पर साकार रूप नहीं ले पातीं।एक कलाकार जब तक अपने रोम-रोम में प्रवाहित हो रहीं सकारात्मक ऊर्जाओं को पूर्ण समर्पण के साथ किसी धरातल पर आहूत नहीं करता तब तक वह एक महान सृजन को जन्म देने में अक्षम ही सिद्ध होता है।एक सृजक जब प्रकृति के कण-कण से आत्मिक रूप से संबद्ध होता है और इस सृष्टि के जड़-चेतन में हिलोरे ले रही दैवीय ऊर्जा के संस्पर्श को अपने चेतन -अवचेतन मन, हृदय और देह में अनुभव कर कल्पनाओं के जगत में प्रवेश करता है, तब उसकी कूंची रंगों के साथ क्रीड़ाएं करते हुए एक अतीव सुन्दर चित्र का प्रसव करती है। उस विलक्षण अवसर पर एक सृजक उस नवचित्र को निहार-निहारकर एक जन्मदाता-जन्मदात्री के रूप में स्थित होकर मन ही मन प्रमुदित होकर कल्पनाओं के पंखों पर सवार होकर गगन में ऊंची-ऊंची उड़ानें भरने लगता है।उनकी बातें सुनने के बाद प्रख्यात दृश्य कलाकार मुकेश सैनी ने कहा कि वरिष्ठ चित्रकार हरेन ठाकुर के संग व्यतीत पल मेरे जीवन के अमिट और स्वर्णिम पल बन गये हैं, उनका अनुभव, ज्ञान और मार्गदर्शन मेरे कलामार्ग को प्रकाशित कर मुझको उन्नति के मार्ग पर अग्रसर होने के लिए प्रेरणा देते रहेंगे।