कोरापुट : उड़ीसा केन्द्रीय विश्वविद्यालय कोरापुट के हिंदी विभाग के तत्वावधान में मंगलवार को विश्व हिंदी दिवस धूमधाम से मनाया गया। कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि विश्वविद्यालय के विजिटिंग प्रोफेसर डॉ जंग बहादुर पांडेय ने हिन्दी की अंतरराष्ट्रीय स्थिति पर प्रकाश डालते हुए कि हिंदी विश्व की तीसरी सबसे बड़ी भाषा है और अब यह केवल भारत वर्ष की सीमाओं तक सीमित नहीं रही बल्कि सात समुंदर पार विश्व के अनेक देशों में पहुंच चुकी है। हिन्दी के लिए चीन अब हिमालय पार नहीं रहा। पाकिस्तान में भी इसने अपना परचम फहराया है। समुद्र पार जाकर अब यह विश्व के अनेकानेक देशों में इंटरनेट, ई-मेल और कंप्यूटर के जरिये अपनी सामर्थ्य का एहसास कराकर अब विश्व के गलोब में पूरी तरह स्थापित हो चुकी है।अर्थात् विश्व धरातल पर ज्ञान एवम् व्यवहार के नये नये खुलते क्षितिजों से जन्मी अपेक्षाओं के संदर्भ में आधुनिक हिन्दी भाषा ने अपनी अर्थवत्ता का एहसास कराया है।हिंदी भाषा की उपादेयता इस बात से प्रमाणित होती है कि यह हमारे बहुसंख्यक लोगों की भाषा है,साहित्यकार और कवियों की भाषा है,लोकप्रिय फिल्मों की भाषा है,इसमें विज्ञान और व्यापार की अद्यतन जानकारियां हैं।यह वोट मांगने की भाषा है।गुलामी के बाद पश्चिम के समृद्ध समाज ने कदम से कदम मिलाने की चाह ने अंग्रेजी को अपनाया, अंग्रेजीयत को ओढ़ा लेकिन अंग्रेजी से लोगों को आत्मगौरव और प्यार का अनुभव नहीं हुआ। आज दिखावा और आत्मगौरव के बीच द्वंद्व है और इन सब के मध्य हिंदी हमारी अस्मिता और हमारे आत्मगौरव की भाषा है। श्री पांडेय ने कहा कि विश्व के 95 देशों के विश्वविद्यालयों में हिन्दी का अध्ययन-अध्यापन हो रहा है। यह गौरव का संदर्भ है। हिंदी के प्रचार प्रसार के निमित्त 11 विश्व हिन्दी सम्मेलन अब तक हो चुके हैं और 12वां विश्व हिंदी सम्मेलन 15,16,17,फरवरी 2023 को फिजी में समायोजित है।हिंदी के लिए वह दिन दूर नहीं जब वह संयुक्त राष्ट्र संघ की 7 वीं अधिकृत भाषा बनेगी। कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के रूप में अंग्रेजी के विजिटिंग प्रोफेसर डॉ हिमांशु शेखर महापात्र ने कहा कि हिंदी भारत की राजभाषा और राष्ट्रभाषा है और हमें हिन्दी का सम्मान करना चाहिए। वहीं, कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए कुलपति डॉ चक्रधर त्रिपाठी ने कहा कि हिंदी भारत मां की बिंदी है और राष्ट्रभाषा हिंदी के बिना राष्ट्र गूंगा है।हिंदी प्रेम और एकता की भाषा है।हिंदी जोड़ने वाली भाषा है और हमे अपनी भाषा पर गर्व है। इस अवसर पर डॉ संजीत कुमार दास रचित अंग्रेजी और डॉ आलोक बराल रचित उड़िया पुस्तकों और हिन्दी विभाग की कविता स्मारिका का भी लोकार्पण हुआ।इस अवसर पर अनेक विद्वानों ने हिंदी के पक्ष में हिंदी में अपने उद्गार व्यक्त किये जिनमें डॉ रानी सिंह, डॉ सौम्य रंजन दास, डॉ साहब, डॉ कपिल खेमुंदु, डॉ बीएन प्रधान, डॉ प्रदोष कुमार रथ, डॉ आलोक बराल, डॉ जयंत कुमार नायक, डॉ मीनाती साहू और डा रूद्राणी के नाम शामिल हैं। कार्यक्रम में सरस्वती वंदना भारती रानी दास ने तथा संचालन डॉ संजीत कुमार दास ने किया। वहीं, धन्यवाद ज्ञापन डॉ दुलुमनि तालुकदार ने किया।राष्ट्र गान से कार्यक्रम की पूर्णाहुति हुई।