कोलकाता. पश्चिम बंगाल में शिक्षक नियुक्ति भ्रष्टाचार मामले में गिरफ्तार किए गए तृणमूल के शीर्ष नेता पार्थ चटर्जी को लेकर गुरुवार को दिनभर गहमागहमी का माहौल रहा. बुधवार की देर रात उनकी करीबी महिला अर्पिता मुखर्जी के बेलघरिया स्थित फ्लैट से 28 करोड़ नकद और तीन करोड़ से अधिक के सोने चांदी के सामान बरामद होने के बाद सुबह से ही उन्हें मंत्रिमंडल से हटाए जाने की मांग तेज हो गई थी. खुद तृणमूल कांग्रेस के प्रवक्ता कुणाल घोष ने यह मांग की थी. इसके बाद दोपहर के समय राज्य के मुख्य सचिव हरि कृष्ण द्विवेदी ने एक अधिसूचना जारी की जिसमें पार्थ को मंत्रिमंडल से हटाने की जानकारी दी गई थी.
- तृणमूल ने भी पद से हटाकर किया निलंबित, भाजपा ने निकाली रैली
खुद मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी इसकी घोषणा की और कहा कि वह जल्द ही अपने मंत्रिमंडल का विस्तार करेंगी. तब तक पार्थ चटर्जी का मंत्रालय वह अपने पास रखेंगी. इधर, शाम के समय मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के भतीजे और पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव अभिषेक बनर्जी ने तृणमूल कांग्रेस की अनुशासन रक्षा समिति की जरूरी बैठक की. इसमें सुब्रत बख्शी समेत तृणमूल कांग्रेस के संस्थापक सदस्यों से लेकर कुणाल घोष और अन्य वरिष्ठ नेता शामिल हुए. यहां पार्थ चटर्जी को तृणमूल कांग्रेस के महासचिव, पार्टी के मुखपत्र जागो बांग्ला के संपादक सहित पांच महत्वपूर्ण पदों से हटाने का निर्णय लिया गया. इसके अलावा उन्हें प्राथमिक सदस्यता से निलंबित कर दिया गया.
इसके बाद मीडिया से मुखातिब अभिषेक बनर्जी ने कहा कि पार्टी किसी भ्रष्टाचार का समर्थन नहीं करती, इसीलिए पार्थ को पार्टी से हटाया गया है. उन्होंने कहा कि अगर यही पार्थ भारतीय जनता पार्टी में रहते तो उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं होती. इशारे-इशारे में शुभेंदु अधिकारी का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि एक आदमी जो राज्य के हर तरह के भ्रष्टाचार में शामिल है, खुलेआम घूमता है, उसके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं होती क्योंकि वह भाजपा में है. दरअसल भाजपा वाशिंग मशीन बन गई है.
पार्थ के मामले में भारी मात्रा में नकदी और सोने-चांदी की बरामदगी को लेकर भाजपा ने दोपहर के समय कोलकाता में बड़ी रैली निकाली जिसमें हजारों की संख्या में पार्टी कार्यकर्ता शामिल हुए. रैली से भाजपा नेताओं ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को भ्रष्टाचार की जिम्मेदारी लेते हुए इस्तीफा देने की मांग की.