नयी दिल्ली । राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने सोमवार को कहा कि प्रौद्योगिकी और परंपरा तथा आधुनिकता एवं संस्कृति का संयोग वक्त की जरूरत है। तथा प्रकृति के साथ जनजाति समाज को साथ लेकर चलने पर ही सही अर्थों में समावेशी विकास हो सकता है। राष्ट्रपति भवन में जनजातीय अनुसंधान-अस्मिता, अस्तित्व एवं विकास पर कार्यशाला के शिष्टमंडल को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति ने ये बातें कहीं। उन्होंने कहा कि स्वतन्त्रता संग्राम में जनजाति नायकों का योगदान नामक पुस्तक का विमोचन होना गर्व की बात है। मुझे विश्वास है कि इस पुस्तक के माध्यम से देश भर में जनजातियों के संघर्ष और बलिदान की गाथाओं का व्यापक रूप से प्रचार-प्रसार होगा। द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि इतिहास हमें बताता है कि जनजाति समाज ने कभी भी गुलामी स्वीकार नहीं की बल्कि देश पर हुए सभी आक्रमणों का सबसे पहले जनजाति समाज ने ही प्रबल प्रतिकार किया। उन्होंने कहा कि देश की उन्नति तभी हो सकती है जब हमारा युवा अपने गौरवशाली इतिहास को समझे, अपने देश एवं समाज की सुख-समृद्धि के सपने देखे। तथा उन्हें साकार करने का हर संभव प्रयास करे। मुर्मू ने कहा कि प्रकृति के साथ जनजाति समाज का घनिष्ठ संबंध अनुकरणीय है। उन्हें साथ लेकर हम विकास की नई ऊंचाईयां पा सकते हैं और सही अर्थों में समावेशी विकास का लक्ष्य हासिल कर सकते हैं।