Friday, December 8, 2023

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विद्यार्थी एक फूल और शिक्षक उसके माली हैं: राजेश सिंह

लखनऊ। हर बच्चा एक फूल की तरह है और शिक्षक उसके माली हैं। शिक्षकों का यह सबसे पहला दायित्व है कि वे उनके सर्वांगीण विकास में उनके सहायक बनें। रविवार को ये बातें कुंवर ग्लोबल स्कूल के चेयरमैन और कार्यक्रम के मुख्य अतिथि राजेश सिंह ने कहीं।

आरकेडीएक्स टॉक्स में देश के दिग्गज शिक्षाविदों ने रखे अपने विचार

वे स्कूल के सभागार में आयोजित कार्यक्रम में बोल रहे थे। श्री सिंह ने कहा कि भारत के बच्चों में कम्यूनिकेशन स्किल कूट-कूट कर भरा होता है। जरूरत सिर्फ उसे डेवलप करने की है। बच्चों के पहले शिक्षक उनके माता-पिता होते हैं। इसलिए पैरेंट्स को भी आरकेडीएक्स टॉक्स में शामिल किया जाना चाहिए। कार्यक्रम में आरकेडीएक्स टॉक्स के संस्थापक डॉ आरके दास ने कहा कि शिक्षा का मुख्य उद्देश्य इंसान गढ़ना है। बच्चे ही देश का भविष्य हैं, ऐसे में शिक्षकों का यह दायित्व है कि वे उनकी प्रतिभा की पहचान कर उन्हें बढ़ने और अपने-आपको बेहतरीन बनाने का अवसर दें। कार्यक्रम में कुंवर ग्लोबल स्कूल की हेड मिस्ट्रेस योगिता मेहरोत्रा ने कहा कि शिक्षकों का यह दायित्व है कि वे बच्चों को समय दें। उनकी भावनाओं को समझें। आज के बच्चे कई जटिलताओं के बीच जी रहे हैं। शिक्षकों को बच्चों की भावनाओं को समझना चाहिए और उन्हें दंडित या अपमानित करने से बचना चाहिए, क्योंकि अपमान की स्मृति लंबे समय तक बनी रहती है और बच्चे इसे भूल नहीं पाते।

कुंवर ग्लोबल स्कूल लखनऊ में आयोजित हुआ कार्यक्रम

वहीं, कार्यक्रम की वक्ता रितिका भंडारी ने कहा कि अपने अब तक के शिक्षकीय कार्यकाल में मैंने बहुत से बच्चों को प्रशिक्षित किया है। मैं कई प्रतिष्ठित स्कूलों में पीजीटी केमिस्ट्री टीचर के तौर पर कार्यरत रही हूं। उन्होंने शिक्षण में कहानियों की उपयोगिता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि कहानियां बच्चों पर बहुत अधिक प्रभाव डालती हैं। बच्चे अपने माता-पिता और नानी-दादी से जो कहानियां सुनते हैं वह उनके मष्तिष्क पर बहुत अधिक प्रभाव डालती हैं। हमें अपने आप पर विश्वास करना चाहिए और दूसरों पर कम से कम डिपेंड रहना चाहिए। पैशन इज दी ड्राइविंग फोर्स फॉर एवरीवन। वहीं, वक्ता प्रफुल्ल कुमार गुप्ता ने कहा कि विद्यार्थियों को कई दफा यह ज्ञान नहीं होता कि उसे क्या करना चाहिए। क्या, कब और कैसे करना है इसका स्पष्ट ज्ञान नहीं होने के कारण वह आगे नहीं बढ़ पाता है।इसी तरह मेंटल वेलनेस कोच कमलेश्वर पोखरैल ने कहा कि यदि आदमी कुछ करने की ठान ले तो इसके बाद मंजिल तक का सफर आसान हो जाता है। कुछ करने के लिए संसाधनों से ज्यादा इच्छाशक्ति की जरूरत होती है।वहीं, तन्मय पंजा ने कहा कि लोग सोचते हैं कि एक कमजोर स्टूडेंट कुछ नहीं कर सकता है। पर ऐसा नहीं है।

आकाश ने अपना फोकस खेल से हटकर एजुकेशन में डाला और उसने बेहतरी से अपने आपको साबित किया। वह इसका उदाहरण है कि यदि हम फोकस रखकर एक दिशा में आगे बढ़ते हैं तो चमत्कारी परिणाम आते हैं।कार्यक्रम में हेल्थ एंड फिटनेस मेंटर विकास पाल ने कहा कि आंतरिक शक्ति मजबूत हो तो आदमी चमत्कारिक परिणाम दे सकता है।कार्यक्रम में विनी अहमद ने कहा कि किसी व्यक्ति को सिर्फ अपने लिये नहीं बल्कि दूसरों के चेहरों पर मुस्कान लाने के लिए जीना चाहिए।समाज में बदलाव लाने के लिए प्रयत्नशील रहना चाहिए। कार्यक्रम में व्हाइट पेटल्स ग्रुप ऑफ इंस्टीटयूशन की डायरेक्टर प्रिंसिपल डॉ हेमलता एस मोहन ने कहा कि गांव के बच्चे शहर के बच्चों की तरह नहीं होते, उनतक जानकारियां कम पहुंचती हैं। ऐसे में उन तक जरूरी सूचनाएं कैसे पहुंचाएं और सूचनाओं का गैप कैसे कम करें यह हमारी जिम्मेवारी है। कार्यक्रम में संतोष बीएड कॉलेज की प्रिंसिपल डॉक्टर शुभ्रा ठाकुर ने कहा कि स्कूल में बैक बेंचर्स को कई दफा शिक्षक इग्नोर करते हैं, पर बैक बेंचर्स भी इतिहास रचते और बनाते हैं।

कार्यक्रम में रांची विश्वविद्यालय के पीजी हिन्दी विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष डॉ जंग बहादुर पांडेय ने कहा कि शिक्षकों के ऊपर एक बेहतर समाज गढ़ने की महत्वपूर्ण जिम्मेवारी है और उन्हें इस दायित्व का सम्यक निर्वहन करना चाहिए।कार्यक्रम में डॉ नाजिया अब्बास आबिदी के साथ लगभग 30 वक्ताओं ने भी अपने विचार रखे।कार्यक्रम के अंत में प्रतिभागियों के बीच सर्टिफिकेट और मोमेंटो का वितरण किया गया। कार्यक्रम में मंच संचालन रजनी शुक्ला ने किया वहीं धन्यवाद ज्ञापन डॉ धीरज मेहरोत्रा ने किया।

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