रांची : सफलता का राज नमन और मनन में छुपा है। भारत युवाओं का देश है और युवाओं के पास जोश है तथा बुजुर्गों के पास होश है।यदि युवा अपने जोश में बुजुर्गों के होश को मिला दें तो सफलता उनके चरण चूमेगी।गुरूवार को ये बातें डॉ जंगबहादुर पांडेय ने कहीं। वे डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय के शिक्षा विभाग के तत्वावधान में छात्र हित में ‘सफलता के राज’ पर आयोजित एक संगोष्ठी में बोल रहे थे। डॉ जेबी पांडेय ने कहा कि युवाओं को निराश होने की आवश्यकता नहीं है। मन को एकाग्र करने का एक अमोघ अस्र है-मन के पहले ‘न’ लगाएं शब्द बनेगा नमन।नमन से मन का अहंकार दूर होगा और मन शांत होगा। मन के पीछे ‘न’ लगाएं शब्द बनेगा मनन। एकाग्र होकर अध्ययन और चिंतन करें।नमन+मनन=ज्ञान की प्राप्ति=जीवन में मनोवांछित फल की प्राप्ति यानि सफलता अर्थात् बल्ले बल्ले।डॉ पांडेय ने विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि
सूखी उम्मीदों की कोई डाली नहीं होती,
बंद किस्मत की कोई ताली नहीं होती।
झुक जाए जो मां बाप और गुरु के चरणों में,
उसकी झोली कभी खाली नहीं होती।
संगोष्ठी की अध्यक्षता कर रहे कुलपति डॉ तपन कुमार शांडिल्य ने कहा कि यह हम सबके लिए गौरव का संदर्भ है कि डॉ जेबी पांडेय हमारे छात्र- छात्राओं को सफलता के राज जैसे महत्वपूर्ण विषय पर मंत्र दे रहे हैं।विद्यार्थियों को अपने माता।पिता और गुरु की बात आंख मूंदकर मान लेनी चाहिए, इसी में उनका कल्याण है।उन्होंने रामचरित मानस के प्रसंग का उल्लेख करते हुए कहा कि पिता की बात उचित-अनुचित विचार किए बगैर मान लेनी चाहिए
अनुचित उचित विचार तजि,जे मानहि पितु बैन।
ते भाजन सुख सुजश के बसहिं अमरपति ऐन।
संगोष्ठी का संचालन डॉ पुष्पा लता वहीं सरस्वती वंदना डा स्वाति प्रताप ने किया। कार्यक्रम में धन्यवाद ज्ञापन डॉ जीएम एक्का ने किया।