रांची : सरकार ने बिना किसी चर्चा के कोर्ट फीस में कई गुना वृद्धि कर दी है। ऐसे ही आम जनता न्याय से कोसों दूर है और ऐसी नीतियों के कारण अब स्थिति और भयावह हो जायेगी। हमारा प्रयास होना चाहिए कि आम जनता को सुलभता से न्याय मिले, लेकिन सरकार की मंशा इसके बिल्कुल उलट है। एक ओर बिहार, गुजरात, जम्मू कश्मीर, पश्चिम बंगाल सहित अन्य राज्यों में कोर्ट फीस 50 हजार से 75 हजार रुपए के बीच आती है, वहीं झारखंड में इस अधिसूचना के बाद यह 3 लाख तक हो गया है। ये बातें पूर्व न्यायाधीश सह सेवानिवृत प्रधान सचिव पंकज श्रीवास्तव ने रांची स्थित आजसू के केंद्रीय कार्यालय में आयोजित प्रेस वार्ता के दौरान कही।उन्होंने कहा कि सबको सस्ता और सुलभ न्याय दिलाना हमारी प्राथमिकता है। वहीं, प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए अखिल झारखंड अधिवक्ता संघ के प्रदेश अध्यक्ष राधेश्याम गोस्वामी ने कहा कि झारखंडी जनता को मूल विषयों से भटका कर अपनी राजनीतिक रोटी सेंकने वाली वर्तमान सरकार राज्य के अधिवक्ताओं को बांटने और उन्हें ठगने में जुटी है। यह उनकी संकुचित मानसिकता को दर्शाता है। लगातार यह सरकार जनहित की भावनाओं को आहत पहुंचाने वाले निर्णय ले रही। यह राज्य के भविष्य के लिए खतरनाक संदेश है।इसी तरह अखिल झारखंड अधिवक्ता संघ के प्रधान महासचिव भरत चंद्र महतो ने कहा कि अखिल झारखंड अधिवक्ता संघ सरकार से यह मांग करती है कि जनहित को देखते हुए झारखंड कोर्ट फीस अमेंडमेंट एक्ट-2022 को अविलंब वापस ले, अधिवक्ता प्रोटेक्शन एक्ट अविलंब लागू करे तथा 25 सीआरपीसी के तहत सभी जिला न्यायालय में लोक अभियोजक एवं सहायक लोक अभियोजक की अविलंब नियुक्ति करे।प्रेस वार्ता के दौरान अखिल झारखंड अधिवक्ता संघ के प्रदेश अध्यक्ष राधेश्याम गोस्वामी, सेवानिवृत्त लॉ ऑफिसर सह जज पंकज श्रीवास्तव, प्रधान महासचिव भरत चंद्र महतो, उपाध्यक्ष दिनेश चौधरी और सचिव अंजित कुमार सहित अन्य मौजूद रहे।