दयानंद राय
महान विभूतियां अपने काम से महान बनती हैं फिर चाहे वह अमेरिका के अब्राहम लिंकन हों या बिहार के पहले मुख्यमंत्री डॉ श्रीकृष्ण सिंह। 21 अक्टूबर 1887 में जन्मे श्रीकृष्ण सिंह बिहार के पहले मुख्यमंत्री हुए। एक लंबे कालखंड 1946 से 1961 तक वे बिहार के मुख्यमंत्री रहे और अपने कार्यों की ऐसी छाप छोड़ गये कि उन्हें विस्मृत किया जाना असंभव हो चुका है। डॉ राजेंद्र प्रसाद और अनुग्रह नारायण सिन्हा के साथ डॉ श्रीकृष्ण सिंह को आधुनिक बिहार का आर्किटेक्ट माना जाता है। दलितों के लिए वैद्यनाथ मंदिर में प्रवेश का न सिर्फ उन्होंने रास्ता प्रशस्त किया बल्कि जमींदारी प्रथा खत्म करनेवाले वह देश के पहले मुख्यमंत्री भी थे। उनकी बुलंद आवाज के कारण उन्हें बिहार केशरी भी कहा जाता रहा। उनके योगदान को रेखांकित करते हुए उनके दोस्त और गांधीवादी नेता अनुग्रह नारायण सिन्हा ने कहा था कि वर्ष 1921 के बाद से बिहार का जो इतिहास है वही श्रीकृष्ण सिंह की जिंदगी का भी इतिहास है। उनके और देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरु के बीच हुए पत्र व्यवहार पर छपी किताब फ्रीडम एंड बियोंड का पूर्व राष्ट्रपति प्रतिभा देवीसिंह पाटिल ने लोकार्पण किया था।
असहयोग आंदोलन में हिस्सा लेने के लिए उन्होंने अपनी लॉ की प्रैक्टिस छोड़ दी
उनका जन्म ब्रिटिश पीरियड में मुंगेर के बरगीघा में हुआ था। उनकी प्रारंभिक शिक्षा-दीक्षा गांव के स्कूल और फिर मुंगेर के जिला स्कूल में हुई। वर्ष 1906 में उन्होंने पटना कॉलेज में नामांकन कराया जो तब कलकत्ता यूनिवर्सिटी का अंगीभूत कॉलेज था। उन्होंने कानून की पढ़ाई की और वर्ष 1915 से वकील के रुप में प्रैक्टिस करना शुरु कर दिया। गांधीजी के असहयोग आंदोलन में हिस्सा लेने के लिए उन्होंने अपनी लॉ की प्रैक्टिस छोड़ दी। वर्ष 1923 में वह ऑल इंडिया कांग्रेस कमिटी के सदस्य बने। 1927 में वह लेजिस्लेटिव काउंसिल के सदस्य बने और वर्ष 1929 में बिहार प्रदेश कांग्रेस कमिटी के महासचिव बन गये। 20 जुलाई 1937 को जब कांग्रेस सत्ता में आयी तो वह बिहार प्रांत के प्रीमियर बने। श्रीकृष्ण सिंह का स्वाध्याय पर अटूट भरोसा था और वह जात-पात के आधार पर भेदभाव के कट्टर विरोधी थे। बिहार में औद्योगिक इकाईयों को लाने का श्रेय भी उन्हें जाता है। उनके नेतृत्व में ही बिहार में बरौनी आॅयल रिफाइनरी, हटिया में एचईसी, बोकारो स्टील प्लांट, सिंदरी का खाद कारखाना, बरौनी थर्मल पावर स्टेशन और दामोदर वैली कॉरपोरेशन अस्तित्व में आये।