दयानंद राय
रांची : राजनीति में यह विपक्ष का दायित्व और कर्तव्य है कि वह सरकार की आलोचना करे और इस बहाने उसे जनता के प्रति और जवाबदेह बनाये। इस कसौटी पर आजसू सुप्रीमो सुदेश महतो की हाल की बयानबाजी पर गौर फरमाएं, तो साफ दिखेगा कि आजसू सुप्रीमो मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और उनकी महागठबंधन की सरकार को घेरने का कोई मौका छोड़ नहीं रहे हैं। 20 नवंबर को बेरमो में आयोजित अखिल झारखंड श्रमिक संघ के राज्यस्तरीय अधिवेशन में सुदेश ने कहा कि हेमंत सरकार की कार्यशैली से समाज का हर वर्ग असंतुष्ट है और इस सरकार में श्रमिकों के हितों की अनदेखी की जा रही है। इससे एक दिन पहले 19 नवंबर को पार्टी की केंद्रीय समिति की बैठक में सुदेश ने कहा कि वर्तमान सरकार की ओर से झारखंड की जनता का राजनीतिक शिकार किया जा रहा है। झूठ की बुनियाद पर खड़ा संगठन राज्य का नेतृत्व कर रहा है। आजसू पार्टी की विपक्षी भाजपा से यारी किसी से छुपी नहीं है, इसलिए यह भी साफ है कि आजसू सुप्रीमो के तेवर कहीं न कहीं इंफ्लूएंस्ड हैं। और यही तेवर कमोबेश उनके हर कार्यक्रम और आयोजन में दिख जाते हैं। अब बात करते हैं, 24 नवंबर को सुदेश की ओर से मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को लिखे गये पत्र की। पत्र में सुदेश ने राज्य की बिजली व्यवस्था पर सवाल उठाए और इस बहाने भी सरकार की कार्यशैली पर नाराजगी जतायी। सुदेश ने पत्र में लिखा कि राज्य में बिजली की लोडशेडिंग से जनजीवन मुश्किल में है। ग्रामीण इलाकों में आठ से बारह घंटे तक बिजली की कटौती की जा रही है। बिजली की कटौती से पढ़ाई- लिखाई, खेती- व्यापार और अन्य क्षेत्रों में जनता को दिक्कतें आ रही हैं। सरकार इस ओर ध्यान दे और जनता को लोड शेडिंग से निजात दिलाए। अब बारी आती है 27 नवंबर को आजसू मुख्यालय में आयोजित अखिल झारखंड बुद्धिजीवी मंच के प्रतिनिधि सम्मेलन की। इस सम्मेलन में भी सुदेश ने राज्य सरकार की जमकर खिंचाई की। उन्होंने साफ कहा कि सरकार हर महत्वपूर्ण विषय पर राज्य को गुमराह कर रही है। राज्य को सही दिशा मिले, इसके लिए बुद्धिजीवियों को आगे आना होगा। इन सारे बयानों के निहितार्थ समझें तो यह साफ दिख जाता है कि आजसू की राजनीति प्रेशर पॉलिटिक्स की है। झारखंड विधानसभा में आजसू पार्टी के विधायकों की संख्या केवल दो है। इनमें एक आजसू सुप्रीमो सुदेश महतो और दूसरे डॉ लंबोदर महतो हैं। सुदेश सिल्ली से विधायक हैं और डॉ लंबोदर महतो गोमिया से। आजसू पार्टी के पास एक लोकसभा सांसद भी है जिनका नाम चंद्रप्रकाश चौधरी है। 55 साल के चंद्रप्रकाश चौधरी गिरिडीह लोकसभा सीट से सांसद हैं। जाहिर है संख्या बल के लिहाज से आजसू पार्टी राज्य की राजनीति में बहुत प्रभाव छोड़ने में सफल नहीं है। आजसू सुप्रीमो सुदेश महतो भी ये बखूबी जानते हैं। इसलिए राज्य में आजसू का जनाधार और उसकी स्वीकार्यता बढ़ाने में जुटे हुए हैं। उनके सिपहसलार डॉ देवशरण भगत भी इसी रणनीति पर काम कर रहे हैं। ऐसी संभावनाएं हैं कि आजसू अपनी रणनीति को निकट भविष्य में इंप्लीमेंट करा ले और उसके विधायकों और सांसदों की संख्या बाद में बढ़ जाये, पर अभी यह दूर की कौड़ी ही है।
लेखक : न्यूजवाणी के प्रधान संपादक हैं