कोरापुट : अनुवाद दो संस्कृतियों के बीच संतुलन बनाये रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।भारत और पश्चिमी संस्कृतियों के संलयन से एक पूर्ण मानव संस्कृति विकसित होगी। मंगलवार को ये बातें ओडिशा केंद्रीय विश्वविद्यालय कोरापुट के वीसी डॉ प्रोफेसर चक्रधर त्रिपाठी ने कहीं। वे विश्वविद्यालय के अंग्रेजी भाषा एवं साहित्य विभाग की ओर से आयोजित तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी के उद्घाटन सत्र में बोल रहे थे। कार्यक्रम में श्री त्रिपाठी ने पश्चिमी साहित्य की महत्वपूर्ण विशेषताओं तथा अंग्रेजी भाषा के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि पूर्ण मानव की संस्कृति का विकास अनुवाद के जरिये ही संभव है। उन्होंने आशा जतायी कि सम्मेलन में आधुनिक भारतीय साहित्य के विभिन्न विषयों पर गौर किया जायेगा और एक ऐसे राष्ट्र की कल्पना होगी जो अपनी विविधता में एक साथ आया है।
सम्मेलन के उद्घाटन सत्र में मंच पर जीएम विश्वविद्यालय, संबलपुर के कुलपति प्रोफेसर एन नागराजू, ब्रिटेन से भारतीय अंग्रेजी लेखक चंद्रहास चौधरी और मिलान स्टेट यूनिवर्सिटी, इटली के प्रोफेसर एलेसेंड्रो वेस्कोवी शामिल थे। सम्मेलन के निदेशक प्रोफेसर हिमांशु महापात्र ने अतिथियों और सम्मेलन का विषय प्रस्तुत किया, जबकि विभागाध्यक्ष संजीत कुमार दास ने सम्मेलन के प्रतिनिधियों और प्रतिभागियों का स्वागत किया। संस्कृत विभाग प्रमुख और डीन, स्कूल ऑफ लैंग्वेजेज, प्रोफेसर एनसी पांडा, ने उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता की और अपने विचार रखे। कार्यक्रम में चार किताबें – सीयूओ न्यूज़लेटर, द बुक ऑफ आबस्तकट्स (फॉलोइंग माईं हार्ट), हिमांशु एस महापात्र और पॉल सेंट पियरे की ओर से मनुआ का एक अंग्रेजी अनुवाद और संजीत कुमार दास द्वारा टाटा निरंजना का अंग्रेजी अनुवाद निरंजना मंच पर मौजूद गणमान्य व्यक्तियों ने लांच किया।