Friday, December 8, 2023

Latest Posts

गरीब बच्चों का जीवन संवारने में लगे हैं इंजीनियर सत्येंद्र सेठ

दयानंद राय

रांची : मन में समाज सेवा की भावना हो तो इसकी शुरुआत कभी भी और कहीं से भी की जा सकती है। इसके लिए जरूरत है तो बस आत्मविश्वास और कुछ अलग करने की चाहत की। कुछ ऐसा ही कर रहे हैं चेनारी प्रखंड अंतर्गत तेलारी गांव निवासी 36 वर्षीय इंजीनियर सत्येंद्र सेठ। नागपुर से इंजीनियरिंग करने के बाद कोलकाता की एक मल्टीनेशनल कंपनी में काम कर रहे सत्येंद्र सेठ पिछले दो वर्षों से अपने गांव पर रहकर वर्क फ्रॉम होम कर रहे हैं। कोरोना काल की वजह से कंपनी की गाइड लाइन के अनुसार वे अपने घर से ही कंपनी के सारे कार्यों को संपादित कर रहे हैं। उसी दौरान गांव में घूमने के दौरान गरीब बच्चे-बच्चियों को खेलते हुए देख उनके मन में अपने गांव के बच्चों के लिए कुछ नया करने का विचार आया। इसके बाद गांव के ही मकान में सत्येंद्र सेठ ने इंजीनियरिंग की पाठशाला शुरु कर दी। जहां वे गरीब बच्चों के साथ-साथ गांव के अन्य बच्चे- बच्चियों को निशुल्क पढ़ाते हैं। पढ़ाई में अंग्रेजी बोलने के साथ-साथ कंप्यूटर की शिक्षा भी दी जाती है।गांव में बच्चों की पढ़ाई के स्तर को देखते हुए बच्चों को ग्रामीण परिवेश की पढ़ाई से बाहर निकालने के लिए इंजीनियर सत्येंद्र सेठ ने बच्चों को विशेष शिक्षा देने की सोची और उसके लिए उन्होंने अपने घर में निशुल्क पाठशाला शुरू की। इसके बाद उन्होंने बच्चों से बातें करके उनके कैरियर की जानकारी ली तथा बच्चों की रुचि के अनुसार उन्हें पढ़ाना शुरू कर दिया। बीते दो वर्षों से सत्येंद्र सेठ अपने घर में बच्चों को पढ़ाते आ रहे हैं, इसके लिए वे किसी भी प्रकार का किसी से सहायता नहीं लेते हैं। उन्होंने अपने पैसे से कंप्यूटर खरीद कर बच्चों को कंप्यूटर का ज्ञान भी देना शुरू कर दिया ताकि ग्रामीण परिवेश में रहने वाले बच्चे समय के साथ चल सके। इसके अलावा सत्येंद्र सेठ बच्चों से लगातार बातें करते हैं और उनके सपनों को पूरा करने में उनकी मदद करते हैं। साथ ही साथ समय-समय पर छात्र-छात्राओं के बीच पढ़ाई से संबंधित प्रतियोगिता करा कर टॉप छात्र-छात्राओं को पुरस्कृत भी करते हैं, ताकि उनके बीच में प्रतियोगिता के माध्यम से पढ़ाई को लेकर बच्चों के बीच प्रतिस्पर्धा की भावना आये और वे लोग बेहतर परिणाम दे।
सतेंद्र सेठ बताते हैं कि नौकरी पर जाने के बाद भी वे बच्चों को पढ़ाना नहीं छोड़ेंगे। इसके लिए उन्होंने अभी से ही शुरुआत कर दी है। जब वे कोलकाता चले जाएंगे तो काम के बाद दो घंटे का समय निकालकर अपने गांव के बच्चों को ऑनलाइन के माध्यम से पढ़ाएंगे। उन्होंने बताया कि वे चाहते हैं कि उनके गांव के बच्चे भी अच्छी तरह से पढ़ाई करके सरकारी नौकरियों के साथ-साथ प्राइवेट कंपनियों में अच्छे पद पर नौकरी करें।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Latest Posts

spot_imgspot_img

Don't Miss

Stay in touch

To be updated with all the latest news, offers and special announcements.