पटना : मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की समाधान यात्रा की शुरुआत गुरुवार को पश्चिम चंपारण के बेतिया से होगी। इस सिलसिले में वह बुधवार को बाल्मिकी नगर के लिये प्रस्थान कर गये। मुख्यमंत्री की पहले चरण की यह यात्रा 29 जनवरी को लखीसराय में समाप्त होगी। नीतीश कुमार इस दौरान सरकारी काम-काज का जायजा लेंगे। इस संबंध में सरकार के द्वारा जारी किये गये दिशा-निर्देश से यह स्पष्ट होता है कि राज्य के नौजवानों-बेरोजगारों-किसानों-शिक्षकों से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार खौफ में हैं। नीतीश कुमार की पूरी समाधान यात्रा में जनसभा या आम लोगों से मुलाकात का कोई कार्यक्रम नहीं है। खौफ इतना कि इन सभी पर निगाह रखने के आदेश दिए गए हैं। सरकार को लग रहा कि ये लोग मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की समाधान यात्रा में खलल डाल सकते हैं। लिहाजा निबटने की पूरी प्लानिंग तैयार की गई है। सरकारी पत्र के मुताबिक नीतीश कुमार का आम लोगों से मुलाकात का कोई कार्यक्रम नहीं है। हां, हरेक जिले के जिलाधिकारियों को ये खास तौर पर कहा गया है कि वे सुरक्षा और दूसरी व्यवस्थाओं का इंतजाम करेंगे। यानि प्रशासनिक और पुलिस घेरे में वे उस काम को देखेंगे। मुख्यमंत्री चिन्हित समूहों के साथ बैठक करेंगे। वैसे समूह जिन्हें स्थानीय प्रशासन या सरकार के द्वारा निर्धारित किया गया हो। आखिर में सरकारी अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक होगी। इस बैठक में जिले से लेकर पटना तक के सरकारी अधिकारी मौजूद रहेंगे। मुख्यमंत्री जिस जिले में जायेंगे वहां के प्रभारी मंत्री और उस जिले के निवासी मंत्री को बैठक में आने का न्योता दिया जायेगा। लेकिन सबसे दिलचस्प बात ये है कि स्थानीय सांसद, विधायक और विधान पार्षदों को भी मुख्यमंत्री के समाधान यात्रा का न्योता नहीं दिया जायेगा। राज्य सरकार ने यात्रा को लेकर जो पत्र निकाला है उसके मुताबिक मुख्यमंत्री की समीक्षा बैठक में स्थानीय सांसद, स्थानीय विधायक और विधान पार्षद स्वेच्छा से भाग ले सकेंगे। मतलब उन्हें कोई न्योता नहीं दिया जायेगा। खास बात ये भी है कि स्थानीय सांसद, विधायक या विधान पार्षद अगर कोई मुद्दा उठायेंगे तो उसका नोटिस भी नहीं लिया जायेगा। सरकार ने अपने पत्र में साफ कर दिया है कि मुख्यमंत्री उन्हीं बिंदुओं पर समीक्षा करेंगे जो पहले से निर्धारित होंगे। इसबीच पश्चिम चंपारण जिला प्रशासन को यह भय है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की यात्रा में हंगामा हो सकता है। एसपी-डीएम के संयुक्त आदेश में कहा गया है कि विभिन्न सोशल मीडिया के माध्यम से शिक्षक, कृषक, विद्यार्थी, बेरोजगार एवं अन्य संगठनों द्वारा विरोध प्रदर्शन करने की बात सामने आ रही है। साथ ही यह सुनिश्चित करने को कहा गया है कि मुख्यमंत्री के कार्यक्रम स्थान पर किसी भी व्यक्ति को झोला, अटैची, पैकेट्स, छड़ी, छाता, बुके, चाकू, बैनर, लाठी नहीं लाना है।