रांची : झारखंड हिन्दी साहित्य संस्कृति मंच के तत्वावधान में होली मिलन समारोह सह कवि गोष्ठी का आयोजन रविवार को सिटी पैलेस लालपुर चौक में हुआ। कार्यक्रम में मंच के संरक्षक विनय सरावगी को शादीशुदा कुंवारा की उपाधि दी गई। वहीं, मंच के उपाध्यक्ष निरंजन प्रसाद श्रीवास्तव ने इस अवसर पर सभी को शुभकामनाएं दी और एक सारगर्भित कविता सुनाई। कार्यक्रम में कोषाध्यक्ष कृष्ण विश्वकर्मा, सुनील सिंह बादल ,डा जेबी पांडेय,कामेश,प्रकाश पांडेय, डॉ मनीषा सहाय सुमन जैसे साहित्यकारों को अंगवस्त्र, टोपी और रंग-गुलाल लगाकर सम्मानित किया गया।जिन कवि- कवयित्रियों ने अपनी कविता से इस होली मिलन समारोह को सार्थक बनाया उनमें डॉ सुरेंद्र कौर नीलम, सुनील सिंह बादल, डॉ एनके पाठक निराला, सूरज श्रीवास्तव, पंकज कुमार सिंह, राज रामगढ़ी ,मीरा सोनी, गिरिजा कोमल,ऋतुराज वर्षा, घटा गिरि, अभिषेक कुमार श्रीवास्तव, निकिता कुमारी,शालिनी कुमारी आदि के नाम प्रमुख हैं। कार्यक्रम में नेहाल सरैयावी ने कहा कि
प्यार है तो प्यार का इकरार होना चाहिए।
आपके चेहरे से इजहार होना चाहिए।
अपनी यादों से कहो कि एक दिन की छुट्टी दे हमें।
प्यार के हिस्से मे भी इतवार होना चाहिए।
कामेश्वर कुमार कामेश ने हास्य रस की कविता सुनाकर श्रोताओं को खूब हंसाया
न इफ करना न बट करना।
जो बीबी कहे सो झट करना।
डा सुरेन्द्र कौर नीलम ने होली पर एक रंगीली कविता सुना कर लोगों को झुमा दिया
अंबर उड़े गुलाल होली आई है।
मस्ती धूम धमाल होली आई है।
आओ मन की मैल मिटा के प्रेम सुधा बरसाएं।
रंगों जैसा घुल मिल जाएं होली सफल बनाएं।
रहे न कोई मलाल होली आई है।
कविवर विनोद सिंह गहरवार ने अपनी कविता सुनाकर मंच लूट लिया
रंग भर भर के पिचकारी चली रंगों की टोली है
आज कुछ और नहीं ,केवल हंसी है और ठिठोली है।
अबीर-गुलाल- लगाकर के, गले सबको लगाकर के
एक स्वर से सभी बोलें यहां भी आज होली है।।
कार्यक्रम में डॉ जंगबहादुर पांडेय ने होली का अर्थ बताते हुए कहा कि होली आपस में दूरियां मिटाकर एक होना ही होली है।किसी का हो जाना हो-ली है। उन्होंने कहा कि
सभी रंगों की रास है होली।
सबके मन का उल्लास है होली।
जीवन में खुशियां भर देती,
इसीलिए बस खास है होली।
कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्वलन और सरस्वती वंदना से हुआ। कार्यक्रम में आगत अतिथियों का स्वागत डॉ बिनोद सिंह गहरवार ने तथा संचालन ममता मनीषा सिन्हा ने किया। वहीं, सरस्वती वंदना रेणु बाला धार ने और धन्यवाद ज्ञापन कृष्ण विश्वकर्मा ने किया।इस अवसर पर सामूहिक होली और फगुआ का गान-बजान भी हुआ। समापन राष्ट्र गान से हुआ।