देशभक्ति पर बहस को बताया भटकाव
नई दिल्ली: समाजसेवी और वक्ता वैद्य ने देशभक्ति और राष्ट्रीय भावना को लेकर चल रही बहस के बीच कहा कि हाल ही में ‘सारे जहां से अच्छा हिंदुस्तां हमारा’ गीत की कुछ पंक्तियों का गलत तरीके से विश्लेषण किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि गुलिस्तां और बुलबुल वाली पंक्ति को लेकर एक गलत नैरेटिव गढ़ दिया गया है, जिससे लोग भ्रमित हो रहे हैं।
वैद्य ने स्पष्ट करते हुए कहा कि गीत में “गुलिस्तां हमारा” यानी देश को एक सुंदर बगीचे के रूप में दर्शाया गया है। “बुलबुल” यानी नागरिक—जो इस बगीचे से प्रेम करते हैं। उन्होंने कहा कि यदि बगीचे में आग लगती है, तो परिंदों का उड़ जाना स्वाभाविक है। इसका भाव यह है कि जब देश में अराजकता, अन्याय या अव्यवस्था फैलेगी, तो लोग असुरक्षित महसूस करेंगे। इसे गलत नीयत से देश-विरोधी बयान की तरह प्रस्तुत करना अनुचित है।
वैद्य ने कहा कि कवि इकबाल ने यह पंक्तियाँ भावनात्मक संदर्भ में लिखीं थीं, जिनका उद्देश्य देश के प्रति प्रेम और जागरूकता पैदा करना था, न कि किसी तरह का नकारात्मक संदेश देना। उन्होंने देशभक्ति पर चल रही बहस को भटकाव बताते हुए कहा कि असली मुद्दे विकास, शिक्षा, स्वास्थ्य और नागरिक अधिकार होने चाहिए।
उन्होंने यह भी कहा कि सोशल मीडिया पर आधी-अधूरी जानकारी के आधार पर लोगों को बांटा जा रहा है। गीतों, साहित्य और प्रतीकों की व्याख्या बिना संदर्भ के करने से गलतफहमियाँ फैलती हैं।
वैद्य ने अपील की कि साहित्य को समझने से पहले उसे तोड़-मरोड़कर देखने की प्रवृत्ति से बचना चाहिए। “देशभक्ति का मतलब घृणा फैलाना नहीं, बल्कि अपने देश को बेहतर बनाने की कोशिश करना है।”
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