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अफगानिस्तान के तालिबानी विदेश मंत्री अमीर खान मुत्ताकी भारत की पहली आधिकारिक यात्रा पर हैं
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इस दौरे के दौरान उन्होंने पाकिस्तान के खिलाफ तीखा रुख अपनाया है, और कहा है कि अगर पाकिस्तान शांति की राह नहीं चुनेगा, तो अफ़गानिस्तान “बहुत कुछ कर सकता है”।
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मुत्ताकी ने यह भी कहा कि अफगान विदेश नीति अब निर्णायक रूप से बदल चुकी है — अफ़गानिस्तान अब “पड़ोसियों द्वारा प्रयोग किए जाने वाला क्षेत्र” नहीं है।
📍 घटनाक्रम
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मुत्ताकी ने भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर से मुलाकात की है, जिसमें दोनों देशों ने आर्थिक, व्यापारिक और सुरक्षा-मामलों पर चर्चा की।
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भारत ने इस मुलाकात के दौरान अफगानिस्तान के साथ अपने संवाद एवं रिश्तों को गहरा करने के संकेत दिए हैं। उदाहरण के लिए, भारत ने काबुल में अपनी तकनीकी मिशन को दूतावास का दर्जा देने की घोषणा की है।
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मुत्ताकी ने स्पष्ट किया कि अफगानिस्तान किसी अन्य देश के खिलाफ आतंकवाद या हिंसा के लिए अपनी जमीन नहीं इस्तेमाल होने देगा।
🤔 विश्लेषण
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यह बयान और यात्रा इस बात का संकेत हैं कि अफगानिस्तान अब पाकिस्तान के साथ अपने रिश्तों में अधिक सक्रिय और स्वतंत्र भूमिका अपनाना चाहता है।
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भारत के लिए यह एक रणनीतिक कदम हो सकता है — अफगानिस्तान के साथ रिश्ते मजबूत करने से क्षेत्रीय संतुलन प्रभावित हो सकता है, खासकर पाकिस्तान के खिलाफ।
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साथ ही, यह अफ़गान तालिबान सरकार की अंतरराष्ट्रीय मान्यता और उसकी प्रतिबद्धता को दिखाने की कोशिश भी हो सकती है — कि वह आतंकवाद-रोधी कदमों में विश्व समुदाय के साथ कदम से कदम मिलाए।